पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) टर्मिनल पर डेबिट-क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की सरकार की पहल से डिजिटल लेन-देन में काफी तेजी से इजाफा हुआ है. नोटबंदी के बाद के सात महीने में डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट 'इकोफ्लैश' के मुताबिक, "अगर नोटबंदी नहीं हुई होती, तो पीओएस टर्मिनल के जरिए लेन-देन के 70,000 करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंचने में तीन साल का समय लग जाता. भारत ने डिजिटलाइजेशन के मामले में छलांग लगाते हुए तीन साल में हासिल होने वाली चीज को केवल सात महीने में पूरा किया.''
रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के सात महीने बाद भी अगर यही स्थिति देखने को मिलती है तो पिछले साल की तुलना में इसके दोगुना होने का अनुमान है.
नोटबंदी के बाद बैंकों ने करीब 11.8 लाख एक्स्ट्रा पीओएस टर्मिनल लगाए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक पीओएस टर्मिनल की संख्या बढ़ने और डिजिटल लेन-देन का यह स्तर और ऊपर जाएगा.
इसी तरह की तेजी मोबाइल वॉलेट, पीपीआई कार्ड जैसे प्री-पेड सिस्टम से किए गए लेन देन में देखने को मिली है.
मई 2017 में पीपीआई के जरिए 10,700 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जबकि नवंबर 2016 में केवल 5,100 करोड़ रुपये का लेन देन हुआ था.
मंहगाई दर में आई कमी
डिजिटलीकरण में तेजी से मंहगाई दर में भी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, पीओएस टर्मिनल पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये के लेन-देन से मंहगाई दर में 1.1 फीसदी की कमी आएगी.
(इनपुट: भाषा)
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