राजस्थान के कोटा में एक अस्पताल में 100 से अधिक बच्चों की मौत पर देश भर में सियासत हो रही है. राजस्थान सरकार अशोक गहलोत से इस्तीफे की मांग की जा रही है. वही, सरकार की परेशानी और बढ़नेवाली है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जोधपुर स्थित दो अस्पतालों में पिछले साल दिसंबर में 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर में उमैद और एमडीएम अस्पतालों में 146 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से 102 शिशुओं की मौत नवजात गहन चिकित्सा इकाई में हुई.
एसएन मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में खुलासा
कोटा स्थित जे के लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मद्देनजर एसएन मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में जोधपुर में नवजात शिशुओं की मौत के आंकड़ों का खुलासा किया गया है. हालांकि, एसएन कॉलेज के प्रधानचर्य एसएस राठौड़ ने कहा कि, यह आंकड़ा शिशु मृत्युदर के अंतरराष्ट्रीय मानकों के दायरे में आता है.
राठौड़ ने बताया, ‘कुल 47,815 बच्चों को 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से 754 बच्चों की मौत हुई है.’
एम्स से भी बच्चे होते हैं यहां रेफर
राठौड़ ने बताया, ‘एसएन मेडिकल अस्पताल समूचे पश्चिम राजस्थान से आए मरीजों को देखते हैं और एम्स जैसे अस्पतालों से भी यहां बच्चों को रेफर किया जाता है.’अपनी बेहतर चिकित्सा और देखभाल व्यवस्था की वजह से अस्पताल की गहन देखभाल इकाई लगातार दो साल समूचे राज्य में सबसे अच्छी मानी गई.
राठौड़ ने अस्पताल में दबाव से निपटने के लिए संसाधन की कमी से इनकार किया. हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि कई वरिष्ठ डॉक्टर अपना निजी अस्पताल चलाते हैं. हाल में उन डॉक्टरों को नोटिस जारी किया गया. इनमें वो डॉक्टर भी शामिल हैं जो अपने आवास पर मेडिकल दुकानें चलाते हैं.
इनपुट भाषा से भी
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