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रामलीला मैदान की रैली में आतंकियों के निशाने पर PM मोदी- रिपोर्ट

एजेंसियोंने कहा, रामलीला मैदान में आतंकियों के निशाने पर पीएम मोदी हो सकते हैं

Published
भारत
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पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में होने वाली रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बना सकते हैं. एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. इस संबंध में खुफिया एजेंसियों ने विशेष सुरक्षा समूह और दिल्ली पुलिस को सूचित किया है. प्रधानमंत्री मोदी रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में केंद्र सरकार द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के मुद्दे पर बीजेपी की आयोजित बड़ी रैली को संबोधित करेंगे.

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केंद्रीय एजेंसियों ने सुरक्षा-व्यवस्था चुस्त कर दी है और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए ब्लू बुक में निहित निर्देशों को पूरी तरह से लागू करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए हैं.

जैश के निशाने पर PM?

एजेंसियों ने कहा कि उनके पास ताजा जानकारी है कि रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री को निशाना बनाने के लिए देश में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गों को जुटाया गया है, जहां भारी संख्या में मीडियाकर्मी के मौजूद रहने की भी उम्मीद है. रामलीला मैदान में सुरक्षा की जिम्मेदारी विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) और दिल्ली पुलिस संभालेंगे. निर्धारित रैली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री भी मोदी के साथ मौजूद रहेंगे.

एजेंसियों ने यह भी कहा है,

“ब्लू बुक के अध्याय 10 में निहित दिशानिर्देशों में शीर्षक ‘लोकतांत्रिक राजनीति में सुरक्षा व्यवस्था’ का पालन किया जा सकता है, ताकि कठोर और अव्यावहारिक उपायों से बचा जा सके.” 
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सरकार के फैसलों से खतरे की आशंका

एजेंसियों ने पिछले दिनों भारत सरकार के बड़े फैसलों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (12 दिसंबर), राम जन्मभूमि का फैसला (नौ नवंबर), अनुच्छेद 370 को निरस्त करना (पांच अगस्त) शामिल हैं. इसके अलावा एजेंसियों ने भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में की गई एयर स्ट्राइक का उदाहरण देते हुए खतरा होने की आशंका जताई है.

एजेंसियों ने कहा, "इस तरह की परिस्थिति में पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों द्वारा प्रतिशोध की कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता है."

एजेंसियों का कहना है कि, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) आतंकी समूहों को लगातार ढांचागत और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को अक्टूबर 2019 में लश्कर-ए-तैयबा का पत्र भी मिला था, जिसमें जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कथित ज्यादतियों का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री सहित देश के गणमान्य लोगों को लक्षित करने की धमकी दी गई थी.

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