भारतीय सेना में लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर एक और विवाद छिड़ गया है. सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र का नया मामला गरमा गया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के एक ट्वीट के बाद विवाद बढ़ गया. विवाद बढ़ता देख सरकार और बीजेपी ने अपने स्तर पर स्पष्टीकरण दिया है. साथ ही इस मामले पर सेना का बयान भी सामने आ गया है.
संजय सिंह ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है. उन्होंने सवाल पूछा कि मोदी जी आपको अग्निवीर बनाने हैं या जातिवीर.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा कि जाति न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की.
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भारत की सेना धर्म या जाति के आधार पर भर्ती नहीं करती है. पात्रा ने कहा कि साल 2013 में भारतीय सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था सेना भर्ती की प्रक्रिया में जाति की कोई भूमिका नहीं है हालांकि इसके बाद भी जाति का एक कॉलम होता है जिसे प्रशासनिक और ऑपरेटिव जरूरतों के लिए भरा जाना जरूरी होता है.
क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह?
वहीं, इस मामले में विवाद बढ़ते देख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना के लिए पुरानी व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है और जो व्यवस्था पहले से थी, वही बनी हुई है.
जाति कॉलम पर सेना का आया जवाब
भारतीय सेना की ओर से जानकारी दी गई है कि पहले भी सेना की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जाता था. ऐसे में अग्निवीर योजना के लिए अगर जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं तो इसमें कुछ भी नया नहीं है.
सेना ने बताया है कि हमारे जवान सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. ऐसे में शहीदों के अंतिम संस्कार के लिए धर्म जानना जरूरी होता है इसलिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है.
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