सियाचिन में ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर (Agniveer died) की मौत हो गई. महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण (Gawate Akshay Laxman) के निधन की जानकारी सेना के अधिकारी ने दी. ड्यूटी पर तैनात किसी अग्निवीर की मौत का यह पहला मामला है. ऐसे में सेना से रिटायर्ड अधिकारियों ने नियमित सैनिकों के समान अग्निवीर के परिवार को कोई पेंशन या सैनिक लाभ नहीं मिलने पर सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाया है.
अग्निवीर (ऑपरेटर) लक्ष्मण महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहनेवाले थे. सियाचिन में ऊंचाई पर रहने के कारण होनेवाली समस्याओं के कारण उनकी जान चली गई.
एक अन्य अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान आत्महत्या से मौत हो गई थी. चूंकि, उनकी मौत की वजह आत्महत्या थी, इसलिए उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया. हालांकि, लक्ष्मण को "बैटल कैजुअल्टी" के रूप में सभी सम्मान दिए जाएंगे.
अग्निवीरों की पात्रता के अनुसार, लक्ष्मण के परिवार को 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी. इसके अलावा, परिजनों को सेवा निधि से भी राशि मिलेगी, जिसमें अग्निवीर के योगदान (30 प्रतिशत), सरकार द्वारा समान योगदान और उस पर ब्याज की राशि भी शामिल है.
सेना की ओर से कहा गया कि उनके परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए वेतन (13 लाख रुपये से अधिक) और सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रुपये भी दिया जाएगा.
पेंशन नहीं देने पर पूर्व सैनिकों ने की आलोचना
हालांकि, 'नियमित' सेना जवानों की तरह उन्हें,कोई पारिवारिक पेंशन या पूर्व-सैनिक लाभ नहीं होगा, जिसके कारण एक बार फिर अग्निपथ योजना की आलोचना की जा रही है.
रिटायर्ड मेजर नवदीप सिंह, जो एक वकील हैं, कहते हैं...
"सभी दूसरी सर्विस में ऑपरेशनल एरिया यानी ड्यूटी पर मौत होने पर परिवार को अंतिम वेतन के बराबर पारिवारिक पेंशन और परिवार को आजीवन सर्विस का लाभ मिलता है लेकिन अग्निवीर के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है."
रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने भी नवदीप की बात का समर्थन किया. उन्होंने भी सोशल मीडिया 'X' पर पोस्ट कर लिखा "भले ही सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के एक प्रशिक्षु कांस्टेबल की भले ही छुट्टी के दौरान नशे में मौत हो जाए, उसका परिवार पेंशन का हकदार होगा लेकिन इस अग्निवीर का परिवार नहीं."
उन्होंने आगे कहा कि सेना के जवान के बराबर समान काम, समान खतरा और समान सेवा के लिए अग्निवीर के परिवार को पेंशन नहीं मिलता. क्या भारत इतना गरीब है, वो अग्निवीर को पेंशन देने की मांग को झटक रहा है.
इंडियन आर्मी ने क्या जवाब दिया?
इधर, सोशल मीडिया पर अग्नीवीरों को पेंशन नहीं देने के मामले पर इंडियन आर्मी के एडिशनल डायरेक्टॉरेट ऑफ पब्लिक रिलेशन ने जवाब दिया है. उन्होंने ट्वीट किया "मृतक के परिजनों को वित्तीय सहायता के संबंध में सोशल मीडिया पर मैसेज को देखते हुए यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि परिजनों को मिलने वाली परिलब्धियां सैनिक की सेवा के प्रासंगिक नियमों और शर्तों पर होती है."
अग्निवीरों की नियुक्ति की शर्तों के अनुसार, मृत युद्ध हताहत के लिए अधिकृत परिलब्धियों में शामिल होंगे
48 लाख गैर अंशदायी बीमा राशि
सेवा निधि में अग्निवीर (30%) का योगदान, उतना ही सरकार की ओर से और उसपर ब्याज
44 लाख की अनुग्रह राशि
मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का भुगतान (तत्काल मामले में 13 लाख से अधिक)
सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख का योगदान
AWWA की ओर से तत्काल 30 हजार की आर्थिक सहायता
"अग्निवीर भारत के वीरों के अपमान की योजना": राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अग्निवीरों को पेंशन नहीं देने पर सरकार को घेरा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा
"सियाचिन में, अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण की शहादत का समाचार बहुत दुखद है. उनके परिवार को मेरी गहरी संवेदनाएं. एक युवा देश के लिए शहीद हो गया - सेवा के समय न ग्रेच्युटी न अन्य सैन्य सुविधाएं और शहादत में परिवार को पेंशन तक नहीं. अग्निवीर, भारत के वीरों के अपमान की योजना है!"
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