बिहार (Bihar) के खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर निर्माणाधीन महासेतु का तीन पाया समेत सेंगमेंट रविवार (4 जून) शाम को जमींदोज हो गया. जानकारी के अनुसार, अगुवानी की ओर से पाया नंबर 10, 11 और 12 व सेगमेंट अचानक गिरकर नदी में बह गये. इसके बाद नाव से गंगा घाट पार कर रहे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई.
कैसे गिरा पुल?
बताया जा रहा है कि पहले एक पाया धंस गया था, इसके बाद से ही ब्रिज एक तरफ झुकना शुरू हो गया था और अंत में तीन पाया ढह गए और उन पर टिके करीब 30 स्लैब नीचे आ गिरे.
CM नीतीश ने दिये जांच के आदेश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भागलपुर में एक निर्माणाधीन पुल गिरने की घटना की जांच के आदेश दिए हैं और घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने को कहा है.
पुल निर्माण निगम से रिपोर्ट मांगी गई: DDC
डीडीसी भागलपुर कुमार अनुराग ने ANI से कहा, "निर्माणाधीन पुल गिरने की घटना शाम करीब 6 बजे हुई. अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. स्थानीय प्रशासन मौके पर है, हमने पुल निर्माण निगम से रिपोर्ट मांगी है.
पाया नदी में गिरकर समा गया
एसपी सिंगला कंपनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक कुमार झा ने बताया कि पाया नंबर 10 से 12 तक के सेगमेंट समेत पाया गिरकर नदी के अंदर समा गया है. पुल निर्माण कंपनी को काफी क्षति हुई है.
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, "जब इससे पहले भी पुल गिरने की घटना हुई थी, तब भी हम आशंका में थे कि हमें सभी सेगमेंट की जांच करानी चाहिए. रिव्यू मीटिंग भी की गई."
IIT रुड़की ने 30 अप्रैल 2022 में पुल गिरने का कारण आंधी तूफान बताया. हमें इसके डिजाइन में पहले से ही फॉल्ट था, इसे पूरे तरीके से ध्वस्त करके फिर से कार्य प्रारंभ करने का हमारा निर्णय था.तेजस्वी यादव, उप मुख्यमंत्री, बिहार
दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी: ACS
PWD विभाग के ACS प्रत्यय अमृत ने कहा, "हम पहले क्लीयर थे कि इस ब्रिज को नए सिरे बनाने में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा, IIT रुड़की की एक रिपोर्ट आ गई है. इस मामले में पूरी रिपोर्ट आ जाएगी. इस कार्य के लिए संवेदक के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई होगी."
जानकारी के अनुसार, खगड़िया में एक साल में दूसरी बार गिरा है निर्माणाधीन पुल.
निर्माणधीन पुल के बारे में कुछ अहम बातें-
भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित अगुवानी घाट गंगा नदी पर बन रहा था पुल.
1710 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था फोरलेन पुल.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को पुल का किया था शिलान्यास.
9 मार्च 2015 को पुल निर्माण का कार्य शुरू हुआ था.
पुल की लंबाई 3.160 किलोमीटर थी.
पुल का 80% निर्माण पूरा हो चुका था.
पुल बनने से क्या फायदा होता?
बिहार और झारखंड के दूरी कम हो जाती.
साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, महागामा जाने में 20 से 30 KM तक कम दूरी तय करनी पड़ती.
उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा.
श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को फायदा होगा.
उत्तर बिहार और पड़ोसी देश नेपाल के कांवरियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा.
अगुवानी क्षेत्र में रोजगार के भी अवसर विकसित होंगे.
पुल तथा सड़क के निर्माण से NH-31 तथा NH-80 आपस में जुड़ जाएंगे.
पुल ढहने पर सियासत तेज
अगुवानी-सुल्तानगंज पुल पर बिहार में सियासत भी गर्मा गयी है. सुल्तानगंज के जदयू विधायक ललित नारायण मंडल ने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. हमें तो उम्मीद थी कि पुल का उद्घाटन इस साल के अंत में नवंबर-दिसंबर तक हो जाएगा. मामले की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
बिहार के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा, "नीयत में जब खोट होगा तो नीति कैसे सफल होगी. एक बार सुलतानगंज के तरफ पुल गिरा था और आज खगड़िया की ओर गिरा है. कई पुल पुर्णिया में भी गिरे हैं, बिहार के अंदर यह कमीशनखोरी की प्रथा गुणवत्ता विहीन काम चरम पर है. जिसकी छवि दिखाई दे रही है."
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