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राज्यों को कोरोना मौत के आंकड़ों की जांच करानी चाहिए: AIIMS चीफ

डॉ. गुलेरिया ने ये बात ऐसे वक्त में कही है जब कई राज्य सरकारों पर आंकड़ों को कम करके दिखाने के आरोप लगे हैं

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देश के दिग्गज डॉक्टर और एम्स के चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि हॉस्पिटल्स और राज्यों को कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की जांच करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना से हुई मौतों का गलत तरह से क्लासीफिकेशन करना, कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई में बाधा पहुंचा सकता है. इन हालातों में जान गंवाने वालों की सही तस्वीर अंदाजा हो, इसके लिए राज्यों को कोरोना से हुई मौतों की जांच कराना चाहिए. इससे सही आंकड़े पता चल सकेंगे.

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डॉ. गुलेरिया ने ये बात ऐसे वक्त में कही है जब कई राज्य सरकारों पर आंकड़ों को कम करके दिखाने के आरोप लगे हैं. अप्रैल में अंतिम संस्कार किए गए लोगों की तादाद और आधिकारिक आंकड़ों में अंतर देखा गया है.

NDTV से बात करते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा-

मान लेते हैं कि व्यक्ति की मौत हार्ट अटैक से हुई. कोरोना की वजह से भी तो हार्ट अटैक हो सकता है. लेकिन इस केस को आप नॉन कोरोना डेथ में गिन सकते हैं, लेकिन असल में ये कोरोना की वजह से हुई मौत में ही गिना जाना चाहिए.
डॉ. रणदीप गुलेरिया, एम्स चीफ

केरल विधानसभा में हाल में ही इस पर चर्चा हुई कि ये कौन तय करेगा कि मरीज की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई या नहीं?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि- 'ये वक्त की जरूरत है कि हॉस्पिटल्स और राज्य, मौत के आंकड़ों का ऑडिट करें. इसी से हमें पता चला पाएगा कि मृत्यू दर की क्या स्थिति है और इसे कम करने के लिए क्या किया जा सकता है. इसी से हम ऐसी रणनीति बना सकेंगे जिससे मृत्यू दर कम हो '

जब तक हमारे पास साफ-साफ डेटा नहीं होगा, तब तक हम फेटेलिटी को घटाने के लिए रणनीति नहीं बना सकते.
डॉ. रणदीप गुलेरिया, एम्स चीफ

डॉक्टर बताते हैं कि दुनिया में, खासतौर पर भारत में कोरोना वायरस की कई लहरें आने के पीछे दो बड़ी वजहें हैं. ये हैं- वायरस म्यूटेशन और लोगों पर उसका असर.

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