कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से कई सेक्टर में नौकरियां जाने की खबरें आ रही हैं. एविएशन सेक्टर भी इससे अछूता नहीं रहा है. एयर इंडिया ने हाल ही में अपने कर्मचारियों को छह महीने से लेकर पांच साल तक के लिए बिना भुगतान अवकाश या लीव विदआउट पे (LWP) पर जाने का विकल्प दिया. इसके बाद एयरलाइन की काफी आलोचना की गई. अब एयर इंडिया ने LWP स्कीम के बारे में सफाई पेश की है.
एयर इंडिया ने अपनी एक रिलीज में कहा कि एयरलाइन की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है और कंपनी इसके लिए कुछ उपाय कर रही है. एयर इंडिया ने LWP स्कीम क्या है और इसका क्या असर होगा, इसे समझाने के लिए जो बातें कही हैं, वो ये हैं:
- 14 जुलाई को पेश की गई LWP स्कीम वॉलंटरी आधार पर है. बिना किसी सैलरी और अलाउंस के कर्मचारी छह महीने से लेकर पांच साल तक LWP पर जा सकते हैं और उनकी नौकरी बनी रहेगी.
- एयर इंडिया 1998 में एक बार और 2009 में दो बार ऐसी ही स्कीम लाई थी और सैंकड़ों कर्मचारियों ने उसे चुना था.
- कोरोना वायरस महामारी की वजह से कुछ कर्मचारी निजी कारणों से ऑफिस नहीं आ सकते हैं. ऐसे कर्मचारी ये विकल्प ले सकते हैं और मैनेजमेंट की अनुमति के बाद एक तय समय सीमा के लिए LWP पर जा सकते हैं. उन्हें मेडिकल और हाउसिंग सुविधा मिलती रहेगी.
- LWP की समय सीमा के दौरान मैनेजमेंट की अनुमति से कर्मचारी कोई दूसरी नौकरी कर सकते हैं.
- LWP स्कीम कर्मचारी और कंपनी दोनों के लिए विन-विन स्थिति है.
- कर्मचारी इस स्कीम के लिए 15 अगस्त तक अप्लाई कर सकते हैं.
- पिछली स्कीम से ये स्कीम इस मामले में अलग है कि मैनेजमेंट कर्मचारियों को LWP पर भेजने का आदेश जारी कर सकता है.
सोशल मीडिया पर एयर इंडिया के इस विकल्प की जोर-शोर से चर्चा हो रही है. टीएमसी सांसद डेरेके ओ ब्रायन ने एयर इंडिया को लताड़ भी लगाई थी. ब्रायन का कहना है कि एयरलाइंस का ये नियम लेबर लॉ का उल्लंघन हैं. उनका आरोप है कि टॉप मैनेजमेंट को बचाने के लिए कर्मचारियों का 'बलिदान' दिया जा रहा है.
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