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मुस्लिम समाज-सुधार की मुहिम का जायजा लेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ देश भर में चल रही मुहिम की रिपोर्ट लेगा

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भारत
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अगले महीने हैदराबाद में आयोजित होने वाली साधारण सभा में मुस्लिम समाज में फैली तीन तलाक समेत तमाम बुराइयों के खिलाफ देश भर में चल रही मुहिम की रिपोर्ट लेगा और अगले एक साल की कार्ययोजना को अंतिम रूप देगा. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी ने इस बात की जानकारी दी.

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बड़े स्तर पर चल रहा है अभियान

तय कार्यक्रम के आधार पर हैदराबाद में आगामी 10-11 फरवरी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की साधारण सभा की बैठक होनी है. बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें तीन तलाक और दहेज प्रथा के साथ-साथ मुस्लिम समाज में फैली तमाम बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ पूरे देश में चलायी जा रही मुहिम का जायजा लिया जाएगा. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी ने रविवार को बताया कि बोर्ड ने महसूस किया है कि सामाजिक जागरूकता के बगैर किसी भी व्यवस्था को चलाना मुमकिन नहीं है. बोर्ड देश में बहुत बड़ा अभियान चला रहा है. बोर्ड के संदेशवाहक हर मदरसे और मस्जिद में जाकर तीन तलाक बंद करने और दहेज और अन्य बुराइयों से दूर रहने को कह रहे हैं.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ देश भर में चल रही मुहिम की रिपोर्ट लेगा
बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी के मुताबिक बोर्ड देश में बहुत बड़ा सामाजिक जागरूकता अभियान चला रहा है.
(फाइल फोटो: ANI) 
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गांवों में जागरूकता पर रहेगा जोर

नोमानी ने बताया कि सालाना साधारण सभा में सबसे बड़ा काम यही होगा कि पूरे मुल्क से रिपोर्ट ली जाएंगी. यह देखा जाएगा कि कितना काम हुआ, कितने लोगों तक यह संदेश पहुंच सका और कितना काम बाकी है. उसके आधार पर अगले एक साल की कार्ययोजना तैयार की जाएगी. उन्होंने बताया कि चूंकि तलाक के ज्यादातर मामले कम पढ़े-लिखे लोगों में आते हैं लिहाजा बोर्ड खासकर गांवों में अभियान पर खासी मेहनत कर रहा है. संदेश पहुंचाने वालों में मदरसों के शिक्षक और छात्र भी शामिल हैं. उनका पूरा जोर तीन तलाक के साथ-साथ दहेज के खिलाफ संदेश फैलाना है. वे मुस्लिम समाज से कह रहे हैं कि अगर तलाक देने की नौबत आये तो सबसे पहले उलमा से सम्पर्क करें और तीन तलाक से हर कीमत पर परहेज किया जाए.

“यह अभियान पिछले एक साल में काफी तेज किया गया है. चूंकि मुसलमानों की आबादी काफी ज्यादा है, और ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर मुसलमान गैर पढ़े-लिखे हैं. इसलिए योजनाबद्ध तरीके से गावों में इस मुहिम को चलाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि इस काम के लिए बोर्ड के पास उतने संसाधन भी नहीं हैं, लिहाजा अभी बहुत काम बाकी भी है.” 
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ देश भर में चल रही मुहिम की रिपोर्ट लेगा
तीन तलाक के खिलाफ पूरे देश में जागरूकता फैला रहा है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 
(सांकेतिक तस्वीर- PTI)
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सोशल मीडिया का सहारा

सज्जाद नोमानी के मुताबिक बोर्ड इस मुहिम के लिये सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहा है. वह फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप और यूट्यूब पर आ चुका है और लोग इन माध्यमों के जरिये बोर्ड से जुड़कर अपनी शंकाएं दूर कर सकते हैं. सोशल मीडिया की लोकप्रियता का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है और बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग बोर्ड के साथ सोशल मीडिया के जरिये जुड़ रहे हैं. इससे बोर्ड को अपना मुहिम चलाने में काफी सहूलियत मिल रही है.

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कानून में बदलाव की मांग

तीन तलाक रोधी कानून पर कल शुरू हो रहे संसद के सत्र के दौरान राज्यसभा में चर्चा किये जाने के बारे में पूछे जाने पर बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड अब भी अपने पुराने रुख पर कायम है और वह चाहता है कि प्रस्तावित कानून में जरूरी बदलाव किये जाएं. उन्होंने कहा कि बोर्ड तीन तलाक के सख्त खिलाफ है लेकिन कुछ परिस्थितियों में तीन तलाक को मान्यता दी गयी है. बहुत से मामलों में औरत खुद तीन तलाक मांगती है, मगर जो लोग समाज को अंदर से नहीं देखते, वे सब यही समझते हैं कि तीन तलाक के सारे मामले मर्दों की ही ज्यादती हैं. यह पूरी तरह से गलत है.

नोमानी ने कहा कि दारुल कज़ा (शरई अदालत) के रिकार्ड बताते हैं कि बीवी जब तलाक मांगती है, तो काजी उन्हें समझाते हैं. मगर जब यह देखा जाता है कि अलग होने से ही दोनों की जिंदगी ठीक गुजरेगी, तो मजबूरन तलाक दिलाना पड़ता है. ऐसे मामलों के लिये ही तीन तलाक की व्यवस्था रखी गयी है. यही वजह है कि बोर्ड मानता है कि तीन तलाक को एकदम से प्रतिबंधित कर देना महिलाओं के साथ ही ज्यादती है. हम प्रस्तावित कानून में इसी के अनुरूप बदलाव चाहते हैं.

बोर्ड प्रवक्ता ने बताया कि साधारण सभा की सालाना बैठक में बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई की प्रगति पर भी चर्चा होगी.

(इनपुट: भाषा)

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