उत्तर प्रदेश में गोकशी को लेकर बनाए गए कानून पर हाईकोर्ट ने चिंता जताई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गोहत्या को लेकर बनाए गए कानून का लगातार दुरुपयोग हो रहा है. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि इस कानून का उन लोगों के खिलाफ भी इस्तेमाल हो रहा है, जो निर्दोष हैं. कोर्ट ने कहा कि किसी भी मांस को गोमांस बताकर इस कानून का इस्तेमाल हो रहा है.
ज्यादातर मामलों में मांस की नहीं की जाती है जांच
लाइव लॉ के मुताबिक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने ये सब गोमांस की बिक्री के आरोपी रहमुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निर्दोषों के खिलाफ इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है.
कोई भी मांस बरामद होता है तो आमतौर पर इसे गोमांस बताया जाता है और वो भी बिना इसकी कोई जांच किए. कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि ज्यादातर मामलों में बरामद हुए मांस को टेस्टिंग के लिए नहीं भेजा जाता है. इसके बाद लोगों को एक ऐसे अपराध के लिए जेल में रखा जाता है, जो शायद उन्होंने किया ही नहीं.
दरअसल कोर्ट को बताया गया था कि जिस शख्स की जमानत पर सुनवाई चल रही है वो पिछले एक महीने से भी ज्यादा वक्त से जेल में है. जबकि एफआईआर में उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं, वहीं ये भी कहा गया कि उसे मौके से गिरफ्तार ही नहीं किया गया था. इसके बाद कोर्ट ने इस शख्स को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी.
आवारा पशुओं से नुकसान
इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गायों और आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान को लेकर भी टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि गोशालाओं से ऐसी गायों को छोड़ दिया जाता है, जो दूध नहीं दे पाती हैं. ऐसे ही गाय के मालिक भी गायों को छोड़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में भी ऐसा ही होता है. सड़क पर गाय प्लास्टिक और गंदी चीजें खाती हैं और इससे उन्हें खतरा होता है. साथ ही सड़कों पर घूमने की वजह से दुर्घटनाएं भी होती हैं. वहीं खेतों को भी इनसे नुकसान पहुंचता है.
कोर्ट ने कहा कि अगर कानून को उसकी सही भावना के तहत लागू किया जाए तो गाय के मालिक या फिर गोशाला के मालिकों पर उन्हें साथ नहीं रखने पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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