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कथित ISIS रंगरूट के परिवार का आरोप, ATS उसे फंसा रही है

मोहसिन को ISIS समर्थक होने के आरोप में कश्मीरी गेट ISBT से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया.

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कसूर हो न हो, गुनहगार तो उसे बना ही दिया!

मुंबई के एक उपनगर में रहने वाला 26 साल का मोहसिन सैयद 15 दिसंबर 2015 को एक दोस्त की शादी में जाने की बात कहकर घर से निकला था. उसने कहा था कि वह 2 दिन में लौट आएगा. अगले 50 दिन तक उसके माता-पिता, पत्नी, दो बच्चे उसके आने का इंतजार करते रहे, उसका पता ठिकाना मालूम करने की कोशिश करते रहे.

50 दिन बाद उन्हें मोहसिन की खबर तो मिली, लेकिन यह खबर उन्हें राहत पहुंचाने की जगह और परेशानी में डाल देने वाली थी.

उसे ISIS समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कथित तौर पर वह सीरिया में ISIS आतंकवादियों के संपर्क में था और उसे भारत से नए रंगरूट जुटाने के लिए पैसे दिए गए थे.  

पर मोहसिन का परिवार इन सारे आरोपों से इनकार करता है. द क्विंट को मोहसिन के पिता इब्राहि‍म ने बताया:

मेरा बेटा धार्मिक है. वह दिन में पांच बार नमाज पढ़ता है. रमजान में एक भी दिन रोजा नहीं छोड़ता. वो हम सबसे बेहद लगाव रखता है, खास तौर पर अपनी 2 साल की बेटी से.
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मैं नहीं मान सकता कि वो अपने बच्चों को अकेला छोड़कर आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया. ATS का कहना है कि वह सीरिया जाने वाला था; लेकिन उसके पास तो पासपोर्ट ही नहीं है. उनका कहना है कि इंटरनेट के जरिए उसे चरमपंथी बनाया गया: लेकिन ना तो हमारे घर में कंप्यूटर है और न ही इंटरनेट.

आस-पास की झुग्गियों में कपड़े बेचने वाले इब्राहि‍म का कहना है कि मोहसिन ने बताया था कि वह एक दोस्त की शादी में गुजरात जा रहा है. पर इसके बाद उसका फोन बंद हो गया. परिवार ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट मालवानी थाने में दर्ज कराई थी.

ATS का कहना है कि मालवानी से कुल चार लोग अपना घर छोड़ कर ISIS में शामिल होने गए थे, मोहसिन उन्हीं में से एक है.

जिस दिन वह गया, उसने हमसे रोज की तरह बात की, उसका व्यवहार सामान्य था. ऐसा कोई नहीं कह सकता कि वे कभी न लौटने की योजना बना रहे हैं, मोहसिन की पत्नी ने बताया.

हमारी बेटी हुदा रो-रोकर बीमार हो गई है. वो पूछती रहती है ‘अब्बू कहां हैं?’ इतने दिनों से मैं बस यही चाहती थी कि काश में उसे बता पाती कि उसके अब्बू कहां है. पर अब जब मैं जानती हूं, तो लगता है कि न पता होना ही बेहतर था. अब मैं जानती तो हूं कि वो कहां हैं, पर ये नहीं जानती कि वे कभी लौट भी सकेंगे कि नहीं.
मोहसिन की पत्नी

शुक्रवार को मोहसिन के परिवार ने मुंबई पुलिस कमिश्मनर को एक पत्र देकर कहा कि वे अपने पुत्र के बारे में चिंतित हैं और उन्हें डर है कि कहीं महाराष्ट्र एटीएस उनके बेटे को झूठे आरोप में न फंसा दे. उन्होंने बताया कि मोहसिन सिर्फ एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर था और बस 8वें दर्जे तक पढ़ा हुआ है.

“उसे फंसाया या रहा है,” सारी बातचीत के बीच मोहसिन की दादी ज़ुबैदा ने पहली बार कहा.

मेरा बच्चा बेकसूर है. वो तो अपने दोस्तों के साथ शादी में गया था. जब वो लौटकर नहीं आया, तो हम पुलिस के पास गए. पुलिस का कहना था कि वे सारे लड़के आतंकवादियों में शामिल होने गए थे. लेकिन उनमें से दो लड़के जल्दी ही वापस आ गए.
मोहसिन की दादी
जब इन दो लड़कों को बेकसूर बता दिया गया, तो मेरे बच्चे को क्यों आतंकवादी कहा जा रहा है? वे हम सब की जिंदगियां क्यों बरबाद कर रहे हैं. उसके बच्चे, उसकी बीवी, उसके मां-बाप, भाई बहन, हम सब के सब, उसके जाने के बाद से सो नहीं पाए हैं. एक-एक दिन काटना मुश्किल हो गया है.

मोहसिन के जाने के बाद घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है, मोहसिन के पिता बताते हैं. ऑटोरिक्शा चलाकर मोहसिन दिन में 500 रुपए कमाता था और घर के अधिकतर खर्चे वही संभालता था. पर अब उसके जाने के बाद डायबिटीज के रोगी पिता को घर का खर्चा उठाने के लिए फिर से काम करना पड़ रहा है. साथ ही ISIS से जुड़ाव के कारण परिवार को बदनामी का सामना भी करना पड़ रहा है.

पास की मस्जिद में नमाज पढ़ने जाने से पहले मोहसिन के पिता ने कहा, “उसके जाने के बाद, हमने रोज उसे फोन करने की कोशिश की. हर किसी जानने वाले से हमने पता किया कि कहीं उसकी कोई खबर तो नहीं मिली. पर हम उसका पता नहीं लगा सके. और उसने भी हमें फोन नहीं किया. हमें नहीं पता कि वह हमसे दूर क्यों था, पर मैं इतना जानता हूं कि हमारा बेटा अपराधी नही है. हो सकता है कि उसका ब्रेनवॉश किया गया हो,पर वो अपराधी नहीं हो सकता,”

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