जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस साल सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के साथ वार्षिक अमरनाथ यात्रा की मेजबानी की तैयारी कर रहा है. ये खबर उस समय आई है जब एक्सपर्ट्स अक्टूबर में कोविड की तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं. इस साल, यात्रा 28 जून से शुरू हो कर 22 अगस्त को खत्म होगी.
दक्षिण कश्मीर में हिमालय में 3882 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, अमरनाथ यात्रा पिछले दो सालों से रद्द हो रही है. साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाने से पहले यात्रा रोक दी गई थी, और फिर साल 2020 में कोविड महामारी के कारण यात्रा रद्द हो गई थी.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 18 जून को दिल्ली में रिपोर्टर्स से कहा, “मैं पहले ही कह चुका हूं कि लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है. कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए, हम जल्द ही फैसला लेंगे.” सिन्हा इस महीने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और देश की टॉप सिक्योरिटी एजेंसियों से दो बार मुलाकात कर चुके हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था, पहली बैठक के प्रमुख एजेंडे में से एक था, जिसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार और जम्मू-कश्मीर के मौजूदा मुख्य सचिव एके मेहता भी शामिल हुए थे.
अमरनाथ यात्रा की तैयारी शुरू
हालांकि, अमित शाह और मनोज सिन्हा की बैठक के बाद आए आधिकारिक बयान में अमरनाथ यात्रा को लेकर कुछ नहीं कहा गया था, लेकिन बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 56 दिन की तीर्थयात्रा के लिए तैयारी शुरू कर दी है.
डॉ मुश्ताक अहमद राथर, जो तीर्थयात्रियों को मेडिकल केयर प्रदान करने के लिए नोडल अधिकारी हैं, ने यात्रियों के लिए सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए 18 जून को गांदरबल जिले के बालटाल का दौरा किया. आधिकारिक बयान के मुताबिक, डॉ राथर ने कहा कि प्रशासन ने मार्ग के साथ कई स्वास्थ्य शिविर और कोविड परीक्षण केंद्र स्थापित किए हैं.
बालटाल से नौ किमी का कठिन ट्रेक, जो सेंट्रल कश्मीर में बेस कैंप के का काम करता है, उन दो मार्गों में सबसे छोटा है, जिनका उपयोग श्रद्धालू पारंपरिक तरीके से गुफा तक पहुंचने के लिए करते हैं.
कश्मीर के हेल्थ सर्विस डायरेक्टर डॉ राथर ने कहा, “वहां कोविड टेस्ट किए जाएंगे. यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े, इसलिए उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं. हम सब कुछ तैयार रख रहे हैं. हम यात्रा के लिए तैयार हैं.” उन्होंने कहा कि सोनमर्ग के अस्पताल में अलग कोविड वॉर्ड होगा, और बालटाल बेस कैंप में मेन वॉर्ड बनाया जाएगा.
इस महीने की शुरुआत में, गांदरबल की डिप्टी कमिश्नर, कृतिका ज्योत्सना ने अधिकारियों से बालटाल मार्ग पर “अच्छी क्वालिटी वाले टॉयलेट, जल निकासी व्यवस्था और स्वच्छता” सुनिश्चित करने को कहा. जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक बयान के मुताबिक, डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि “लाइटिंग के साथ पर्याप्त पार्किंग सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.”
बंद किया गया दूसरा मार्ग?
स्थानीय लोगों और आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चंदनवाड़ी से गुफा तक जाने वाले दूसरे मार्ग पर कोई तैयारी नहीं की गई है. पहलगाम में होटल चलाने वाले एक शख्स ने बताया,
“वहां सैनिकों की टुकड़ी हुआ करती थी और विभिन्न विभाग जैसे स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और अन्य शिविर स्थापित किए जाते थे, लेकिन (यात्रा के लिए) केवल दस दिन बचे हैं, अब तक ऐसी कोई तैयारी नहीं है.”
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 1 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन खोला था. हालांकि, देश में कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर को देखते हुए बोर्ड ने 22 अप्रैल को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर दिए थे.
इस साल अमरनाथ यात्रा में छह लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद थी - जो 2012 के बाद एक रिकॉर्ड होता, जब 6.2 लाख से ज्यादा श्रद्धालू अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए थे.
कोविड के बीच यात्रा को लेकर खतरा
अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तैयारियों ने आशंकाओं को जन्म दिया है कि ये हरिद्वार कुंभ मेले की तरह एक सुपर स्प्रेडर इवेंट बन सकता है. श्रीनगर के पॉलिटिकल साइंटिस्ट, प्रोफेसर नूर ए बाबा ने इस मामले पर कहा,
“यात्रा को अनुमति देने के बारे में वास्तविक चिंताएं हैं. सरकार को इन चिंताओं को दूर करना चाहिए और शायद बड़ी सभाओं को रोकने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित करनी चाहिए.”
रॉयटर्स के हेल्थ एक्सपर्ट्स और वायरोलॉजिस्ट के एक पोल के मुताबिक, भारत में अक्टूबर में कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. पोल के रिजल्ट के मुताबिक, ‘हालांकि तीसरी लहर, दूसरी लहर की तुलना में बेहतर तरह से नियंत्रित होगी, लेकिन महामारी कम से कम एक और साल तक के लिए खतरा बनी रहेगी.’
हालांकि, अभी तक इसे लेकर कोई सफाई नहीं दी गई है कि कितने श्रद्धालुओं को गुफा में जाने की अनुमति होगी. गांदरबल जिले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीर्थयात्रा में सर्विस देने वाले लोग, जैसे कम्युनिटी किचन मैनेजर और कर्मचारियों को वैक्सीन दी जा चुकी है.
अमरनाथ बोर्ड ने श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए कम्युनिटी किचन स्थापित करने के लिए हरियाणा स्थित बर्फानी सेवा मंडल (BSM) को भी अनुमति दी है.
अधिकारियों ने क्या कहा?
श्राइन बोर्ड की तरफ से BSM को भेजे गए लेटर, जिसे क्विंट ने देखा है, में लिखा है: “कोविड की हालिया स्थिति को देखते हुए, सभी लंगर संगठनों को सभी सेवादारों द्वारा फेस मास्क के उपयोग करने, उचित दूरी बनाए रखने सहित संबंधित सभी SOP का पालन करने का निर्देश दिया जाता है.”
जब जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता रोहित कांसल से संपर्क किया गया, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया.
श्री अमरनाथ बोर्ड (SASB) के एडिशनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, अनूप कुमार सोनी ने कहा कि अमरनाथ यात्रा को आयोजित करने का अंतिम फैसला बोर्ड लेगा. उन्होंने कहा, “आखिरी फैसला अभी तक नहीं लिया गया है. बोर्ड के फैसले के बाद हम घोषणा करेंगे.”
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से की जा रही तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर, सोनी ने कहा, “ये तीर्थयात्रा की संभावना को लेकर किए जा रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला बोर्ड करेगा.”
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)