ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन अपने प्राइम वीडियो प्रोडक्ट के जरिये लगातार वीडियो स्ट्रिमिंग क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. एमेजॉन ने अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज पर आधारित एक भारतीय ऑरिजनल सीरीज लॉन्च करने की घोषणा की है.
इस सीरीज का निर्देशन फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर कबीर खान करेंगे. कबीर खान अबतक 'एक था टाइगर', 'बजरंगी भाईजान' और 'काबुल एक्सप्रेस' जैसी सफल फिल्में बना चुके हैं. फॉरगॉटन आर्मी' नाम की इस सीरीज के जरिए कबीर खान ओटीटी डिजिटल वीडियो सर्विस में डेब्यू करेंगे. इस सीरीज को साल 2017 के अंत तक स्टार्ट किया जाना है.
हमने अपने इंडियन व्यूअर्स को हाई क्वालिटी और अच्छे शो उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई है, जिन्हें वे देखना पसंद करेंगे. कबीर खान का साथ इस वादे के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है. हमारा मकसद इंडस्ट्री के सबसे प्रतिभावान लोगों के साथ काम कर भारतीय शोज की आकर्षक फेहरिस्त तैयार करना है. कबीर खान के साथ हमारा गठजोड़ उन साझेदारियों में से एक है, जो भारत में दिखेंगी. हम जानते हैं कि हमारे प्राइम मेंबर जीवंत बनाई जा रही ऐतिहासिक युद्ध की कहानी को पसंद करेंगे और इसका निर्देशन कबीर खान करेंगे.रॉय प्राइस, ग्लोबल हेड, प्राइम वीडियो
इस प्रोजेक्ट को लेकर कबीर खान ने कहा, 'भारत में किसी भी वीडियो सामग्री तैयार करने वाले व्यक्ति के लिए यह बहुत उत्साहजनक समय है और मैं एमेजॉन प्राइम वीडियो के इंडिया ऑरिजनल के साथ डिजिटल क्षेत्र में उतरने को लेकर उत्साहित हूं.'
एमेजॉन प्राइम वीडियो के जरिये नए और ज्यादा से ज्यादा भारतीय दर्शकों तक पहुंचा जा सकता है. वे इंडियन स्क्रिप्ट राइटर्स और वीडियो प्रोड्यूसर्स के साथ करार करने के लिए वर्ल्ड लेवल के एक्सपर्ट्स और नॉलेज ला रहे हैं, ताकि उनके स्किल और नॉलेज को निखारा जा सके. मैं यह इंटरनेशनल सीरीज बनाने को लेकर बहुत उत्साहित हूं, जिसकी पहुंच हिंदी फिल्मों से काफी ज्यादा है.कबीर खान, फिल्म डायरेक्टर
सच्ची घटनाओं पर आधारित यह सीरीज उन पुरुषों और महिलाओं की सच्ची कहानी है, जिन्होंने आजाद हिंद फौज का हिस्सा बनकर भारत की आजादी के लिए वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी. आजाद हिंद फौज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुआई में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंगापुर में ब्रिटेन की हार के बाद बनी थी.
वो सभी तमाम दिक्कतों के बावजूद लड़े और इसकी बड़ी कीमत चुकाई, लेकिन वे सफल नहीं हो सके और भारत को आजाद कराने में महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन की सफलता के आगे वे जल्द ही भुलाई गई सेना बन गए.
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