ADVERTISEMENTREMOVE AD

आडवाणी और जोशी को ‘मनाने’ पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

पार्टी नेतृत्व से नाखुश आडवाणी और जोशी से मिलने पहुंचे अमित शाह

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की. शाह, पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के तुरंत बाद उनसे मुलाकात करने पहुंचे. पहले चरण के चुनाव से तीन दिन पहले हुई इस मुलाकात को पार्टी नेतृत्व से नाखुश दो वरिष्ठ नेताओं को मनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

बता दें, आडवाणी और जोशी को जिस तरह से चुनाव लड़ने से दूर रखा गया, उससे दोनों नेता पार्टी नेतृत्व से नाखुश हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आडवाणी और जोशी से शाह की मुलाकात के मायने?

बीजेपी नेताओं की मानें तो अमित शाह ने वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के संकल्प पत्र की जानकारी देने और उनसे रायशुमारी करने के लिए मुलाकात की. हालांकि, पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो बीजेपी अध्यक्ष के दोनों नेताओं से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करने का कारण दूसरा है. दरअसल, दोनों ही नेता चुनाव न लड़ाए जाने और पार्टी में किनारे कर दिए जाने से नाराज हैं. इसी वजह से अमित शाह उन्हें पार्टी के उस फैसले के बारे में राजी करने पहुंचे थे, जिसमें पार्लियामेंट्री बोर्ड ने 75 साल पूरी कर चुके नेताओं को चुनाव मैदान में ना उतारने का फैसला किया था.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो अमित शाह पार्टी का घोषणा पत्र जारी होने से पहले ही दोनों नेताओं से मिलकर उन्हें “संकल्प पत्र” की एक-एक कॉपी देना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

चुनावी मैदान से दूर आडवाणी और जोशी

लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी दोनों ही नेता बीजेपी के संस्थापक सदस्य हैं. पिछले महीने, आडवाणी (91) को बताया गया था कि अमित शाह गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ेंगे. आडवाणी गांधीनगर सीट से छह बार सांसद चुने जा चुके हैं.

वहीं, मुरली मनोहर जोशी ने पिछले महीने अपने निर्वाचन क्षेत्र कानपुर को एक सार्वजनिक संदेश भेजा था कि उन्हें पार्टी ने कहा है कि वह कानपुर से या कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आडवाणी और जोशी की नाराजगी की वजह

आडवाणी और जोशी दोनों ही नेताओं को पार्टी नेतृत्व के उस तरीके से नाराजगी है, जिस तरह से उन्हें पार्टी में किनारे कर दिया गया. दोनों नेताओं का मानना है कि इतने बड़े निर्णय की जानकारी उन्हें कम से कम पार्टी अध्यक्ष को देनी चाहिए थी, ना कि पार्टी के महासचिव रामलाल को.

आडवाणी ने लंबे वक्त से सार्वजनिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन हाल ही में उन्हें एक ब्लॉग लिखकर अपने विचार साझा किए थे. इस ब्लॉग में उन्होंने पार्टी को सिद्धांतों को लेकर नसीहत दी थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×