लॉकडॉउन के चलते इंडियन एम्यूजमेंट इंडस्ट्री’ बड़ी दिक्कत में आ गई है. इस क्षेत्र के बड़े प्लेयर्स का मानना है कि हर साल 2,700 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली इंडस्ट्री को 1100 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. बता दें इस इंडस्ट्री के तहत देश के तमाम एम्यूजमेंट पार्क, वॉटर पार्क और दूसरे मनोरंजन के साधन आते हैं.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ एम्यूजमेंट पार्क एंड इंडस्ट्रीज (आईएएपीआई) के अध्यक्ष अजय सरीन ने कहा,"हमारे बिजनेस का पीक सीजन मार्च से जून तक है. अक्टूबर से फरवरी के पिछले कुछ महीनों में अलग-अलग वजहों के चलते बिजनेस नहीं हुआ और अब 15 मार्च से एम्यूजमेंट पार्क बंद होने के बाद इस भविष्य भी खतरे में लग रहा है.
आईएएपीआई देश के सभी प्रमुख ओपन-एयर एम्यूजमेंट पार्कों की प्रतिनिधि संस्था है. इसमें 150 सदस्य हैं. लगभग 65 दर्जन इनडोर एंटरटेनमेंट सेंटर (मॉल में) और अलग-अलग एक्टिविटी स्पोर्ट के लगभग 100 मैन्यूफैक्चरर्स भी शामिल हैं.
हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी के सीईओ और आईएएपीआई के उपाध्यक्ष राजीव जालनापुरकर के मुताबिक, ‘यह उद्योग सीधे तौर पर 80,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है, वहीं सीजन के समय 5,000 से अधिक लोगों को काम पर रखता है. इस तरह यह स्थानीय लोगों समेत लाखों दूसरे लोगों को भी अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देता है.’
जालनापर ने बताया, "हमने बड़े निवेश किए हैं, बड़े बुनियादी ढांचे बनाए हैं. हम बड़े स्तर पर रोजगार देते हैं, लेकिन हमें इंडस्ट्री के दर्जे से वंचित रखा गया है.
महाराष्ट्र के एडलैब्स इमेजिका के संयुक्त सीईओ धीमंत बख्शी ने कहा, “लॉकडाउन के कारण, हमारा मुख्य सीजन बर्बाद हो गया. लॉकडॉउन हटने के बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में भीड़ वापस आएगी. मेरा व्यक्तिगत अनुमान है कि इस इण्डस्ट्री को सामान्य होने में कम से कम 3 से 4 साल का समय लगेगा.”
सरीन ने कहा कि श्रम और रोजगार सचिव हीरालाल समारिया के मंत्रालय की सलाह के अनुसार, आईएएपीआई ने सभी सदस्यों को कर्मचारियों को बर्खास्त नहीं करने और उन्हें मार्च और स्थितियों के सामान्य होने तक के लिए बिना किसी कटौती के वेतन का भुगतान करने के लिए कहा है.
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IANS से इनपुट के साथ
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