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एल्गार केस: तेलतुंबडे,नवलखा का सरेंडर, अंबेडकर के घर पर काला झंडा

दोनों ही एल्गर परिषद मामले में आरोपी हैं

Published
भारत
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डॉ बीआर अंबेडकर के 129वें जन्मदिवस पर मुंबई में उनके घर के बाहर एक काला झंडा फहराया गया है. ये झंडा दलित एक्टिविस्ट और स्कॉलर डॉ आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के विरोध में लगाया गया है. दोनों ही एल्गर परिषद मामले में आरोपी हैं.

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लॉकडाउन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को तेलतुंबडे और नवलखा को NIA के सामने एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने के निर्देश दिया था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि इस समय को और नहीं बढ़ाया जाएगा क्योंकि महाराष्ट्र में कोर्ट अब काम कर रहे हैं.

तेलतुंबडे ने 14 अप्रैल को साउथ मुंबई में NIA के ऑफिस पहुंचकर सरेंडर किया. नवलखा ने भी सरेंडर कर दिया है.  

दोनों एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी से पहले एमनेस्टी और कई नागरिक अधिकार संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया था. इन सभी का कहना था कि महामारी के बीच दोनों को जेल भेजने से उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.

ट्विटर पर कई लोगों ने इस बात को लिखा कि अंबेडकर के 129वें जन्मदिवस पर दलित एक्टिविस्टों को "कथित झूठे मामले" में गिरफ्तार किया जा रहा है.

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बैकग्राउंड

तेलतुंबडे और कई नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को UAPA कानून के सख्त प्रावधानों के तहत आरोपी बनाया गया है. इन पर माओवादियों के साथ संबंध होने और सरकार को गिराने के आरोप लगे हैं.

भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़कने के बाद इन एक्टिविस्ट को पुणे पुलिस ने आरोपी बनाया था.

पुलिस के मुताबिक, इन एक्टिविस्टों ने 31 दिसंबर 2017 को एल्गर परिषद बैठक में भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसकी वजह से अगले दिन हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने इन्हें बैन माओवादी संगठन का सदस्य भी बताया. केस बाद में NIA को ट्रांसफर कर दिया गया.  

तेलतुंबडे और नवलखा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत दी थी, जब उनकी गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी.

हाई कोर्ट के याचिका खारिज करने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 17 मार्च 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी और तीन हफ्ते में सरेंडर करने को कहा. 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने 1 हफ्ते का समय और दिया था.

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