आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) मौजूदा वक्त में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) से जुड़े राज्य में करोड़ों रुपये के कौशल विकास निगम घोटाले की जांच कर रहा है. इसकी जांच का दायरा 6 अन्य मामलों तक बढ़ने की संभावना है. ये जानकारी, मामले से जुड़े करीबी सूत्रों ने द क्विंट से बातचीत में दी है.
सोमवार, 11 सितंबर को अपनी याचिका में राज्य CID ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट (Andhra Pradesh High Court) में कई लंबित मामलों के संबंध में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) सुप्रीमो और उनकी पार्टी के सहयोगियों से पूछताछ करने की अनुमति मांगी है.
ये मामले कई सरकारी विभागों के कामकाज में अनियमितताओं से संबंधित हैं, जिन पर नायडू और 2014 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के कुछ सीनियर मंत्रियों पर आरोप लगाया गया है.
चंद्रबाबू नायडू और TDP के अन्य पूर्व मंत्रियों के खिलाफ दर्ज मामलों में आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (AP-CRDA) घोटाला, AP-फाइबरनेट घोटाला, AP कौशल विकास घोटाला, अमरावती भूमि घोटाला, ESI चिकित्सा खरीद घोटाला, कैश-फॉर-वोट घोटाला और हाल ही में पुंगनूर आगजनी केस शामिल हैं.
घोटाले कथित तौर पर 2014 और 2018 के बीच हुए जब TDP सत्ता में थी.
पार्टी के दो सीनियर नेताओं- विधायक के अत्चन्नायडू और पूर्व शिक्षा मंत्री गंता श्रीनिवास राव को कौशल विकास घोटाले में सह-आरोपी बनाया गया है. मामले में आरोपियों की कुल संख्या 39 हो गई है.
CID, 370 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में पूछताछ के लिए दो पूर्व मंत्रियों के साथ-साथ TDP महासचिव नारा लोकेश को भी तलब कर सकती है.
'TDP के राजनीतिक रिवाइवल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश'
नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए, सत्तारूढ़ YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के एक पूर्व सलाहकार ने कहा कि TDP के राजनीतिक तरक्की को नुकसान पहुंचाने के लिए कई मामलों को फिर से खोले जाने की संभावना है, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में उत्साह बढ़ाया है.
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी यह तय करना चाहते हैं कि TDP कैडर के लोगों का उत्साह कम हो और उन्हें दिशाहीन छोड़ दिया जाए, क्योंकि उन्होंने कई मामलों में नायडू की जांच को मंजूरी दे दी है.
ओंगोल में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, YSRCP के सांसद और क्षेत्रीय समन्वयक वी विजयसाई रेड्डी ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ लंबित मामलों को फिर से खोलकर नायडू की जेल की अवधि बढ़ाने का संकेत दिया.
मौजूदा वक्त में नायडू 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें शनिवार, 9 सितंबर को तड़के गिरफ्तार किया गया था, जब वह कुरनूल जिले के नंदियाल में एक समारोह में भाग लेने गए थे. मौजूदा वक्त में वह राजामहेंद्रवरम सेंट्रल जेल में बंद हैं. जहां उन्हें जेड कैटेगरी की सेक्योरिटी दिए जाने की वजह से घर का बना भोजन, स्पेशल रूम और दवा उपलब्ध है.
नायडू के बेटे नारा लोकेश (जो आंध्र के रजोल में युवगलम पदयात्रा पर थे) ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा,
"मेरा गुस्सा उबल रहा है और मेरा खून खौल रहा है. क्या राजनीतिक प्रतिशोध की कोई सीमा नहीं है? मेरे पिता जैसा व्यक्ति, जिसने अपने देश, राज्य और तेलुगू लोगों के लिए बहुत कुछ किया है, उसे ऐसा अन्याय क्यों सहना चाहिए?"
कौशल विकास घोटाले की शुरुआत कहां से हुई?
आंध्र प्रदेश के विभाजन के कुछ ही महीनों बाद, नायडू के नेतृत्व वाली सरकार ने "बेरोजगार युवाओं को कुशल बनाने" के लिए 2014 में सीमेंस सॉफ्टवेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ( Siemens Software India Pvt Ltd) और कुछ अन्य कंपनियों के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया था.
आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम के लिए राज्य भर में उत्कृष्टता केंद्र (Centre's of Excellence) के क्लस्टर स्थापित करके विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने थे.
प्रोजेक्ट की लागत 3300 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई थी और वित्तीय व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को अनुदान सहायता के रूप में Siemens के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को लागत का केवल 10 प्रतिशत भुगतान करना था, बचा निवेश कंपनी द्वारा किया गया था.
कंसोर्टियम के अन्य सदस्यों में गुजरात की कंपनी डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (Design Tech Systems Pvt Ltd) और इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड (Industry Software India Ltd) शामिल थी. इस प्रोजेक्ट को सीमेंस द्वारा एक्जिक्यूट किया जाना था, जिसमें COE के 6 क्लस्टर स्थापित किए गए थे. MoU का ऐलान 2015 में पब्लिक किया गया था.
घोटाला और मैनेजमेंट में कथित खामियां
MoU पर हस्ताक्षर करने के केवल तीन महीने के अंदर, आंध्र प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर COE के संचालन के लिए 371 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. इससे कई लोगों की भौंहें तन गईं क्योंकि Siemens India ने अभी तक अपनी तरफ से कोई वित्तीय निवेश नहीं किया था.
जबकि, नायडू ने राज्य भर में एक दर्जन से ज्यादा COE का वर्चुअली उद्घाटन किया और हजारों युवाओं ने कौशल विकास के लिए अपना नामांकन करवाया. 2019 के करीब सीमेंस द्वारा एक इंटर्नल ऑडिट ने प्रोजेक्ट के लिए धन जारी करते वक्त कई गैर-कानूनी पहलुओं के बारे में इशारा किया.
2019 में, जब YSRCP सत्ता में आई, तो मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने प्रोजेक्ट के इम्प्लीमेंटेशन की जांच के आदेश दिए.
राज्य CID ने इस मामले को उठाया. विभाग ने अपनी जांच शुरू की और खुलासा किया कि सरकार द्वारा दिए गए 371 करोड़ रुपये में से ज्यादातर फर्जी चालान के जरिए शेल कंपनियों को भेज दिए गए थे. जबकि, प्रोजेक्ट पर केवल 130 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. लगभग 250 करोड़ रुपये पांच अन्य कंपनियों- Allied Computers, Skillers India Pvt Ltd, Knowledge Podium, Cadence Partners और ETA Greens को दिए गए थे, जिन्हें आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सहायता देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर साइन किया गया था.
CID रिपोर्ट से पता चला कि कथित मनी ट्रांसफर नकली चालान के आधार पर हुआ था, जिसमें बिक्री के लिए अनुबंधित वस्तुओं की कोई वास्तविक डिलीवरी नहीं थी. CID ने यह भी पाया कि अमाउंट्स जारी करने पर फाइनेंस के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के हस्ताक्षर नहीं थे और न ही उन्हें मुख्य सचिव की मंजूरी मिली थी.
CID ने अपनी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में यह भी कहा कि नायडू और TDP दुरुपयोग किए गए फंड चाह रहे थे. लगभग पांच साल बाद हो रही जांच का उद्देश्य उन स्थानों की जांच करना है, जहां कथित अमाउंट ट्रांसफर हुआ है.
द क्विंट के पास उक्त FIR की कॉपी है.
CID ने क्या तर्क दिया है?
नायडू को इस योजना के पीछे मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है, जिन्होंने शेल कंपनियों के जरिए पब्लिक अमाउंट को प्राइवेट संस्थाओं में ट्रांसफर करने की योजना बनाई. इसके नतीजे में पब्लिक खजाने को नुकसान हुआ और निजी लाभ हुआ.
CID का मानना है कि नायडू के पास सरकारी आदेश और समझौता ज्ञापन जारी करने के लिए लेनदेन की विशेष जानकारी है. मामले से संबंधित अहम दस्तावेज गायब हो गए हैं और जांच, गबन किए गए धन का पता लगाने पर केंद्रित है, जिससे नायडू से हिरासत में पूछताछ जरूरी हो गई है.
आंध्र प्रदेश CID अधिकारी एन संजय ने कहा,
"CRPC की धारा 164 के तहत दर्ज सार्वजनिक अधिकारियों के बयानों सहित सामग्री स्पष्ट रूप से नायडू की संलिप्तता की ओर इशारा करती है. मामले में आरोपों में 10 साल से ज्यादा के जेल की सजा का प्रावधान है."
FIR के मुताबिक नायडू और अन्य 38 आरोपियों पर धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) और 465 (जालसाजी) के तहत मामला केस दर्ज किया गया है. आंध्र प्रदेश CID ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भी लगाया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और GST जांच परिषद सहित अन्य केंद्रीय एजेंसियां पहले ही मामले में पूछताछ कर चुकी हैं और CID अब कोर्ट में एविडेंस पेश करना चाह रही है.
(दीपिका अमीरापु एक मल्टी-मीडिया जर्निलिस्ट हैं. उन्होंने 2008 से प्रिंट, ब्रॉडकास्ट और ऑनलाइन न्यूज कॉर्पोरेशन्स के लिए रिपोर्टिंग की है.)
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