अनिल अंबानी (Anil Ambani) के लिए 9 सितंबर का दिन राहत की खबर लेकर आया. अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्टर लिमिटेड (Reliance Infrastructure) चार साल बाद एक कोर्ट की लड़ाई जीत गई है. ये जीत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कंपनी को पैसा मिलेगा जिसकी उसे सख्त जरूरत है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्टर ने दिल्ली मेट्रो के खिलाफ एक आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के पैसे का नियंत्रण जीत लिया है. कंपनी कहती रही है कि इस पैसे से वो अपना कर्ज चुका सकता है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को 2017 के एक आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को अनिल अंबानी की कंपनी के हक में दिया. अवॉर्ड की कीमत 632 मिलियन डॉलर (4660 करोड़ रुपये) है.
दो जजों की बेंच का ये फैसला अनिल अंबानी के लिए राहत की खबर है क्योंकि उनकी टेलीकॉम कंपनी दिवालिया हो चुकी है. अंबानी पर भी एक निजी दिवालिया केस चल रहा है. फैसले की खबर से ही रिलायंस इंफ्रा के शेयर 5% की डेली लिमिट से आगे बढ़ गए.
केस की सुनवाई के दौरान रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के वकीलों ने कहा था कि पैसे का इस्तेमाल कर्ज चुकता करने में किया जाएगा. इस तर्क के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को कंपनी के एकाउंट्स NPA चिह्नित करने से रोक दिया था.
क्या है आर्बिट्रेशन का केस?
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 2008 में दिल्ली मेट्रो के साथ देश की पहली निजी सिटी रेल सेवा चलाने का समझौता किया था. एग्रीमेंट 2038 तक इस प्रोजेक्ट को चलाने का था.
2012 में फीस और ऑपरेशन्स के मामलों पर विवाद के बाद अंबानी की कंपनी ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो प्रोजेक्ट का ऑपरेशन रोक दिया था. कंपनी ने दिल्ली मेट्रो के खिलाफ एग्रीमेंट के उल्लंघन के आरोप में एक आर्बिट्रेशन केस दाखिल किया और टर्मिनेशन फीस मांगी थी.
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