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अनिल अंबानी ने वापस लिया कांग्रेस और हेराल्ड के खिलाफ मानहानि केस

कांग्रेस नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुआ था मानहानि केस

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अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने कांग्रेस नेताओं और नेशनल हेराल्ड अखबार के खिलाफ अहमदाबाद की अदालत में दायर 5,000 करोड़ रुपये के मानहानि मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया है. राफेल जेट डील मामले में कांग्रेस नेताओं के बयानों और नेशनल हेराल्ड में छपे एक लेख पर रिलायंस ने मानहानि का केस दायर किया था.

इस मामले की सुनवाई अहमदाबाद शहर के सिविल और सेशन जज पी. जे. तमकुवाला की कोर्ट में हो रही थी.

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रिलायंस के वकील ने प्रतिवादियों को दी जानकारी

शिकायतकर्ता के वकील राकेश पारिख ने मंगलवार को कहा, "हमने प्रतिवादियों को सूचित किया है कि हम उनके खिलाफ मुकदमे वापस लेने जा रहे हैं."

नेशनल हेराल्ड और कुछ अन्य प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील पी एस चंपानेरी ने कहा कि उन्हें रिलायंस समूह के वकील ने बताया कि उन्हें उनके मुवक्किल के खिलाफ मानहानि के मुकदमे वापस लेने के निर्देश मिले हैं.

चंपानेरी ने कहा कि गर्मियों की छुट्टी के बाद जब कोर्ट फिर से शुरू होगी, तब केस को वापस लेने की औपचारिक प्रक्रिया कोर्ट में रखी जाएगी.

कांग्रेस नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुआ था मानहानि केस

अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की रिलायंस डिफेंस, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस एयरोसट्रक्चर कंपनियों ने कांग्रेस नेता सुनील जाखड़, रणदीप सिंह सुरजेवाला, ओमन चांडी, अशोक चव्हाण, अभिषेक मनु सिंघवी, संजय निरुपम, शक्ति सिंह गोहिल और नेशनल हेराल्ड अखबार जैसे समाचार संगठनों और कुछ पत्रकारों के खिलाफ मानहानि केस दायर किया था.

इसके अलावा नेशनल हेराल्ड के एडिटर जफर आगा और राफेल डील को लेकर लेख लिखने वाले पत्रकार विश्वदीपक के खिलाफ भी मानहानि का केस दर्ज कराया गया था.

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रिलायंस ने क्यों दायर किया था मानहानि केस

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों ने रिलायंस समूह और उसके चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ राफेल फाइटर जेट डील और उनकी फर्मों के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए थे.

नेशनल हेराल्ड के खिलाफ दायर मानहानि का मुकदमा उसके द्वारा प्रकाशित एक लेख से संबंधित है, जिसका शीर्षक 'मोदी के राफेल डील के ऐलान से 10 दिन पहले ही अनिल अंबानी ने बनाई थी रिलायंस डिफेंस' था.

याचिका में कहा गया है कि यह लेख आम जनता को गुमराह करता है कि सरकार ने कंपनी के लिए अनुचित व्यापारिक पक्षपात किया है. इस लेख ने रिलायंस ग्रुप और इसके चेयरमैन अंबानी की "नकारात्मक छवि" पेश की है.

इसी लेख को लेकर रिलायंस ने मानहानि का केस करते हुए 5,000 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी.

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