महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को रिहा करने के लिए बुधवार को सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने आदेश जारी किया. इसके बाद वो मुंबई की आर्थर रोड जेल से रिहा कर दिए गए है. हाईकोर्ट की एक वैकेशन बेंच ने मंगलवार को देशमुख की जमानत के आदेश पर रोक लगाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो की याचिका को खारिज कर दिया था. बुधवार को सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसएम मेनजोगे ने जमानत की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद रिलीज मेमो जारी किया.
बता दें कि पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने सीबीआई के अनुरोध पर उनकी हिरासत को 27 दिसंबर तक बढ़ा दिया था.
Telegraph की रिपोर्ट के मुताबिक अनिल देशमुख के वकील अनिकेत निकम और इंदरपाल सिंह ने दावा किया कि सीबीआई हाईकोर्ट के उस आदेश को "ओवररीच" करने की कोशिश कर रही है, जिसमें कहा गया था कि किसी भी परिस्थिति में एक और एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा.
देशमुख को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के बयान को छोड़कर, सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए किसी भी बयान से संकेत नहीं मिलता है कि अनिल देशमुखके इशारे पर मुंबई में बार मालिकों से पैसे वसूले जा रहे थे.
सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट द्वारा पिछले महीने उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद देशमुख ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने चिकित्सा आधार और मामले की योग्यता दोनों पर जमानत मांगी.
भ्रष्टाचार केस में हुई थी गिरफ्तारी
अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था. मार्च 2021 में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने आरोप लगाया कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्र करने का टारगेट दिया था.
पिछले साल मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटकों से लदी कार मिलने के मामले में गिरफ्तार पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक वाजे ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे.
इसके बाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2021 में सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था.
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