केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और इन्हें रद्द करने की मांग हो रही है. इसे लेकर प्रदर्शन के 19वें दिन 14 दिसंबर को किसान नेताओं ने भूख हड़ताल भी की. लेकिन अब समाजिक कार्यकर्ता और अपने आंदोलन के लिए मशहूर अन्ना हजारे ने भी केंद्र सरकार को चेतावनी दी है. अन्ना ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे को नहीं सुलझाती है तो वो सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करेंगे.
अन्ना हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखी एक चिट्ठी में केंद्र का वादा याद दिलाया है. उन्होंने बताया है कि पिछले साल किसानों को लेकर तमाम मांगों को लेकर वो भूख हड़ताल पर बैठने जा रहे थे, लेकिन तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस के आश्वासन के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. चिट्ठी में कहा गया है कि,
“जो लिखित आश्वासन मिला था, उसका अब तक पालन नहीं हुआ है. इसीलिए 5 फरवरी 2019 का रुका हुआ अनशन फिर से शुरू करने की सोच शुरू हो गई है. जल्द ही अनशन कहां करना है और कब करना है, इसकी तारीख तय होने के बाद आपको लिखकर अवगत करूंगा.”
अब आपको बताते हैं कि अन्ना हजारे को केंद्रीय कृषि मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तब किन चीजों पर लिखित आश्वासन दिया था. इसमें कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार थे-
- केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को निर्वाचन आयोग जैसा संवैधानिक दर्ज देकर संपूर्ण स्वायत्तता देना
- स्वामीनाथन आयोगी की सिफारिश के अनुसार कृषि उपज का मूल्य C2+50 निर्धारित करना
- फल, सब्जी और दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करना
- किसानों को कर्जा मुक्त करने के बारे में, उपाय योजन करना, आयात-निर्यात नीति तय करना
अन्ना हजारे ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि तब केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा था कि इन तमाम मुद्दों पर विचार करने के लिए एक उच्चाधिकार कमेटी तैयार की जाएगी और ये कमेटी अक्टूबर 2019 तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. 5 फरवरी 2019 को ये आश्वासन दिया गया था. लेकिन अब तक ये पूरा नहीं हुआ.
किसान प्रदर्शन को लेकर केंद्र सरकार वैसे ही चारों तरफ से घिरी है. विपक्षी राज्यों से लेकर विदेशों तक सरकार की अलोचना हो रही है. हालात ये हो चुके हैं कि सरकार अपने पक्ष में किसान संगठनों को जुटाने लगी है. लेकिन इन तमाम कोशिशों के बीच अन्ना की ये चिट्ठी मोदी सरकार के लिए किसी बम की तरह गिरी है. अगर अन्ना भी अनशन पर बैठ गए तो सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती हैं. बता दें कि अन्ना ने 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से यूपीए सरकार की जड़ें हिला दी थीं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)