सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि अगर लोकपाल होता तो राफेल 'घोटाला' नहीं हुआ होता. इसके साथ ही उन्होंने सोमवार को भ्रष्टाचार रोकने वाले कानून को लागू करने और किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर 30 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की.
अन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को लागू ना करने पर केंद्र की निंदा की है. उन्होंने कहा कि देश पर तानाशाही की तरफ जाने का खतरा मंडरा रहा है.
8 साल में लोकपाल पर अन्ना की तीसरी भूख हड़ताल
बीते 8 साल में लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना तीसरी बार भूख हड़ताल करने जा रहे हैं. पहली बार वह सिविल सोसायटी सदस्यों और समूहों का नेतृत्व करते हुए अप्रैल 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे थे. अन्ना ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''अगर लोकपाल होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं हुआ होता. मेरे पास राफेल से जुड़े कई कागजात हैं और मैं दो दिन उनको पढ़ने के बाद दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा. मुझे एक बात समझ नहीं आती कि समझौते से एक महीने पहले बनी एक कंपनी को इसमें सहयोगी कैसे बनाया गया.''
भूख हड़ताल को लेकर ये बोले अन्ना
अन्ना 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल करेंगे. अन्ना के मुताबिक, वह इसे तब तक जारी रखेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी ना कर दे. उन्होंने कहा, ''पहले भी सरकार लिखित में कह चुकी है कि वह लोकपाल कानून पास करेगी और किसानों को पेंशन और डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराएगी लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब मैं और झूठे आश्वासनों पर भरोसा नहीं करूंगा और जीवन रहने तक भूख हड़ताल जारी रखूंगा.''
राष्ट्रीय किसान महापंचायत का अन्ना को समर्थन
पिछले साल मार्च में भी अन्ना और उनके समर्थकों ने लोकपाल कानून लागू करने की मांग को लेकर रामलीला मैदान में एक हफ्ते भूख हड़ताल की थी. अन्ना ने कहा, ''किसी संवैधानिक संस्था का आदेश लागू ना करना देश को लोकतंत्र से तानाशाही की तरफ ले जाता है. यह सरकार भी ऐसा ही कर रही है. यह कैसी सरकार है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करती.''
उन्होंने अपने समर्थकों से रालेगण सिद्धि के बजाय अपने-अपने स्थानों पर भूख हड़ताल करने को कहा है. राष्ट्रीय किसान महापंचायत ने अन्ना को समर्थन दिया है और उसका कहना है कि देशभर के किसान संगठन भूख हड़ताल में शामिल होंगे.
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