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अन्ना की PM को चिट्ठी- किसानों को लेकर दिल्ली में होगा आखिरी अनशन

अन्ना हजारे ने बीजेपी नेताओं पर लगाया आरोप- पहले करते थे तारीफ, अब चिट्ठी का जवाब देने को भी तैयार नहीं

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भारत
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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अब किसानों को लेकर आंदोलन करेंगे. उन्होंने एक बार फिर चिट्ठी लिखकर बताया है कि जनवरी के आखिर में अनशन शुरू करेंगे. अन्ना ने इसे अपना आखिरी अनशन बताया है. उन्होंने कहा है कि अगर उन्हें अनशन की इजाजत नहीं भी दी जाती है तो भी वो दिल्ली में अनशन पर बैठेंगे. जो किसानों के मुद्दे पर पहले से ही घिरी केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है.

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BJP नेता पहले करते थे तारीफ, अब चिट्ठी का जवाब भी नहीं

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पीएम मोदी को लिखी इस चिट्ठी में अन्ना हजारे ने कहा है कि उन्होंने करीब 4 बार रामलीला मैदान में अनशन की इजाजत मांगी, लेकिन उनकी एक भी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया गया. हजारे ने ये भी कहा है कि बीजेपी नेताओं ने जहां पहले उनकी जमकर तारीफ की थी, वहीं अब वो उनकी चिट्ठियों का जवाब देने के लिए भी तैयार नहीं हैं.

अन्ना ने पीएम मोदी को लिखा कि अगर उन्हें याद दिलाने की जरूरत है तो वो बीजेपी नेताओं के तमाम उन भाषणों की वीडियो क्लिप भेज सकते हैं, जिनमें बीजेपी नेताओं ने साल 2011 से लेकर 2013 तक उनकी जमकर तारीफ की है.

अन्ना ने एक बार फिर याद दिलाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को कई चिट्ठियां लिखीं, जिनमें किसानों के हितों को लेकर जो मांगे थीं, उन्हें पूरी करने की बात कही गई थी. लेकिन आश्वासन के बावजूद कुछ नहीं हुआ.

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अन्ना बोले- आश्वासन दिया, अमल नहीं हुआ

इससे पहले भी अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखकर आंदोलन की चेतावनी दी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सरकार किसानों को लेकर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वो दिल्ली में आकर भूख हड़ताल पर बैठेंगे. इस चिट्ठी में उन्होंने बताया था कि जब वो 2019 में किसानों के मुद्दे पर अनशन शुरू करने जा रहे थे तो तत्कालीन कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें आश्वासन दिया था कि मांगे पूरी की जाएंगी. इसके बाद अनशन टाल दिया गया. लेकिन अन्ना को दिए गए आश्वासन पर अब तक कुछ नहीं हुआ है, जिसके बाद अब वो दिल्ली आकर अनशन करने जा रहे हैं.

किसानों को लेकर अन्ना की मांगें

अन्ना हजारे ने किसानों के हितों को लेकर कई बिंदुओं को उठाया था और सरकार से कहा था कि वो इनका पालन करें. आइए जानते हैं अन्ना की सरकार से क्या मांगें हैं. -

  • केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को निर्वाचन आयोग जैसा संवैधानिक दर्ज देकर संपूर्ण स्वायत्तता देना
  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार कृषि उपज का मूल्य C2+50 निर्धारित करना
  • फल, सब्जी और दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करना
  • किसानों को कर्जा मुक्त करने के बारे में, उपाय योजन करना, आयात-निर्यात नीति तय करना
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सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है अन्ना आंदोलन

अब याद दिला दें कि अन्ना हजारे ने साल 2011 में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन छेड़कर पूरे देश को जगाया था, इस आंदोलन ने कांग्रेस की जड़ों को हिलाकर रख दिया था और 2014 में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन के साथ सरकार बनाई थी. लेकिन अब बीजेपी सत्ता में है और किसानों के मामले को लेकर पहले ही घिरी हुई है. कृषि कानूनों को लेकर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन जारी हैं. ऐसे में अगर अन्ना भी दिल्ली आकर अनशन शुरू करते हैं तो ये बीजेपी सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा. क्योंकि अन्ना के साथ उनके अनशन में हजारों लोग जुड़ते हैं. वहीं किसानों को लेकर बने इस माहौल के बीच आंदोलन देशव्यापी हो सकता है.

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