सीमा विवाद को हल करने और सेना को पीछे हटाने को लेकर भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशूल में एक बार फिर सैन्य वार्ता शुरू हो गई है. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) क्षेत्र में सर्दियां आने के साथ सैनिकों को जीरो से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में मुश्किल परिस्थितियों में रहना पड़ रहा है. दोनों देशों के बीच आठवीं कोर कमांडर स्तर की वार्ता सुबह 9.30 बजे शुरू हुई. पहली बार, लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन वार्ता के दौरान भारतीय सैन्य प्रतिनिधियों की अगुवाई कर रहे हैं,
इससे पहले, उन्होंने दो ऐसी वार्ताओं में भाग लिया था, लेकिन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था, जिनका तबादला पिछले महीने भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में कर दिया गया, जहां वह सैन्य अधिकारियों की भावी पीढ़ियों को प्रशिक्षित करने के प्रभारी होंगे.विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे.
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा, "हमने चीन को दृढ़ता से कहा है कि सभी विवादित पॉइंट पर से सेना को पीछे हटना होगा न कि सिर्फ चयनित जगहों से जैसा कि वे चाहते हैं। हमारा रुख स्पष्ट है."
सीमा मुद्दे को हल करने के लिए बातचीत से ठीक पहले, चीन को एक स्पष्ट संदेश में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा था कि भारत अपनी सीमाओं पर चुनौतियों का सामना कर रहा है और अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का बचाव करेगा।.
रक्षा मंत्री ने दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में डायमंड जुबली मनाते हुए एक वेबिनार में कहा था, "भारत एक शांतिप्रिय देश है और युद्ध को रोकने की क्षमता के माध्यम से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है." एलएसी पर भारत और चीन के बीच सात महीनों से गतिरोध जारी है। कई दौर की वार्ताओं के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध बदस्तूर कायम है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)