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जामिया प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रोका, कई जख्मी, 10 तस्वीरें

जामिया से संसद तक मार्च निकालना चाह रहे थे प्रदर्शनकारी

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नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने होली फैमिली अस्पताल के पास रोका, जिसमें कई घायल हो गए हैं. जामिया को-कॉर्डिनेशन कमेटी (JCC) की अगुवाई में प्रदर्शनकारी जामिया से संसद तक मार्च निकाल रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें होली फैमिली अस्पताल के पास ही रोक लिया. इन प्रदर्शनकारियों में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कई छात्र भी शामिल थे.

स्नैपशॉट
  • जामिया के गेट नंबर 7 से शुरू हुआ मार्च, पुलिस ने होली फैमिली अस्पताल के पास रोका
  • अलशिफा अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया, एक महिला समेत तीन लोग अस्पताल में भर्ती, 20 लोगों को दिया गया फर्स्ट-एड
  • जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने अस्पताल में घायलों से की मुलाकात
  • न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में IPC की धारा 186, 188, 353, 332 और डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया

प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग, शील्ड और लाठियों का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ छात्रों ने बैरिकेड्स लांघने की भी कोशिश की. प्रदर्शन से आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि भगदड़ जैसे हालात बनने के कारण कई प्रदर्शनकारी बेहोश हो गए और कई घायल भी हो गए.

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    प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश करती पुलिस(फोटो: PTI)
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    प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने किया लाठी का इस्तेमाल(फोटो: PTI)
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    प्रदर्शनकारी को पकड़ती पुलिस(फोटो: PTI)
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    संसद तक मार्च निकालना चाह रहे थे प्रदर्शनकारी(फोटो: PTI)
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    धक्का-मुक्की में कई प्रदर्शनकारियों के घायल होने की खबर(फोटो: PTI)
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    नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लोग(फोटो: PTI)
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    घायल प्रदर्शनकारी को ले जाते बाकी लोग(फोटो: PTI)
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    प्रदर्शनकारियों को हटाती दिल्ली पुलिस(फोटो: PTI)
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    बैरिकेडिंग हटाने की कोशिश करते प्रदर्शनकारी(फोटो: PTI)
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    प्रदर्शनकारियों में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भी छात्र(फोटो: PTI)

पीटीआई के मुताबिक, घायलों में जामिया यूनिवर्सिटी और स्थानीय लोग शामिल थे. 9 स्टूडेंट्स को हिरासत में भी लिया गया था. उन्हें बदरपुर पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

प्रदर्शनकारियों ने ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ और ‘जब नहीं डरे हम गोरों से, तो क्यों डरें हम औरों से’ जैसे नारे लगाए.

जामिया की स्टूडेंट ने पीटीआई से कहा, 'हम पूरे दिन बैठकर नारे लगा सकते हैं. वो कहते हैं कि हमें संसद तक मार्च करने की अनुमति नहीं है. क्या जिन लोगों ने पिछले हफ्तों बंदूकें दिखाईं, उनके पास इजाजत थी?'

‘हमें प्रदर्शन करते हुए दो महीने हो गए हैं. सरकार से किसी ने भी आकर हमसे बात करने की कोशिश नहीं की, इसलिए हम उनसे बात करने जा रहे थे.’
एक प्रदर्शनकारी ने पीटीआई से कहा

62 साल की रशीदा ने कहा कि सरकार अपना रुख रोज बदल रही है, लेकिन वो अपनी बात पर अड़े हैं. 'हम यहीं पैदा हुए, यहीं मरेंगे.'

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 188, 353, 332 और डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है.

जामिया के अलावा, 10 फरवरी को मंडी हाउस से जंतर-मंतर के बीच भी नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन निकाला गया.

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