ADVERTISEMENTREMOVE AD

अनवर जलालपुरीः गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले शायर का इंतकाल

उर्दू के अदब से सजी शायरी से मोहब्बत का पैगाम देने वाले अनवर जलालपुरी

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

गुलों के बीच में मानिंद खार मैं भी था

फकीर ही था मगर शानदार मैं भी था...

उर्दू के अदब से सजी ऐसी ही शायरी का जलवा बिखेरने वाले मशहूर शायद अनवर जलालपुरी का इंतकाल हो गया है. वह करीब 70 साल के थे. उन्होंने मंगलवार सुबह लखनऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर में आखिरी सांस ली. जलालपुरी को बीती 28 दिसंबर को ब्रेन स्ट्रोक के बाद किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था.

अनवर जलालपुरी वही शख्स हैं, जिन्होंने श्रीमद भगवद् गीता का उर्दू में अनुवाद किया है. इसके अलावा उन्होंने 'उर्दू शायरी में गीता' के नाम से एक किताब भी लिखी है, जिसमें 700 शास्त्रीय संस्कृत श्लोकों का उर्दू में अनुवाद है.

अनवर जलालपुरी शेरो-शायरी की दुनिया का जाना-माना नाम हैं. उन्हें साल 2015 में उत्तर प्रदेश के यश भारती सम्मान से नवाजा गया था.

उर्दू के अदब से सजी शायरी से मोहब्बत का पैगाम देने वाले अनवर जलालपुरी
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भगवद् गीता का उर्दू में किया अनुवाद

अनवर जलालपुरी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए भी कई पैगाम दिए. यही वजह है कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को और मजबूत करने के लिए उन्होंने भगवद् गीता का उर्दू में अनुवाद किया.

गीता का उर्दू में अनुवाद करते हुए उन्होंने लिखा-

हां धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे,

मगर ये न समझो कि मासूम थे

इधर कृष्ण अर्जुन से हैं हमकलाम,

सुनाते हैं इंसानियत का पैगाम

अजब हाल अर्जुन की आंखों का था,

था सैलाब अश्कों का रुकता भी क्या

बढ़ी उलझनें और बेचैनियां,

लगा उनको घेरे हैं दुश्वारियां

तो फिर कृष्ण ने उससे पूछा यही,

बता किससे सीखी है यह बुजदिली...

इसके अलावा अनवर जलालपुरी ने एक अन्य रचना लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा-

हम जितने भारतवासी हैं

सबका है ये नारा बाबा

हम काशी काबा के राही

हम क्या जानें झगड़ा बाबा

अपने दिल में सबकी उल्फत

अपना सबसे रिश्ता बाबा

0

शायरी से दिया भाईचारा मजबूत करने का संदेश

शेरो-शायरी के हर मंच पर जलालपुरी अपने शेरों में भी भाईचारे का पैगाम देते नजर आते थे. उन्होंने लिखा-

जो भी है नफरत की दीवार गिराकर देखो,

दोस्ती की भी जरा रस्म निभाकर देखो।

कितना सुख मिलता है मालूम नहीं है तुमको,

अपने दुश्मन को कलेजे से लगाकर देखो।

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जलालपुरी की शायरी में देशभक्ति की खुशबू

अनवर जलालपुरी ने देशभक्ति की खुशबू से सराबोर कई नज्में और शेरो-शायरी लिखीं. देश में हिंदू-मुसलमानों को संदेश देते हुए उन्होंने लिखा-

न तेरा है न मेरा है ये हिंदोस्तां सबका है,

नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है।

ADVERTISEMENTREMOVE AD

विद्या बालन की फिल्म डेढ़ इश्किया में भी आए थे नजर

अनवर जलालपुरी विशाल भारद्वाज की फिल्म डेढ़ इश्किया में नसीरुद्दीन और माधुरी दीक्षित के साथ मंच पर मुशायरा पढ़ते नजर आए थे. फिल्म में भी जलालपुरी ने उर्दू के अदब की खुशबू को करीने से बिखेर कर दर्शकों का दिल जीत लिया था.

इसके अलावा उन्होंने साल 1988 में आए टीवी सीरियल अकबर द ग्रेट के लिए डायलॉग्स और गीत भी लिखे, जिन्हें काफी सराहा गया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×