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अनवर जलालपुरीः गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले शायर का इंतकाल

उर्दू के अदब से सजी शायरी से मोहब्बत का पैगाम देने वाले अनवर जलालपुरी

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गुलों के बीच में मानिंद खार मैं भी था

फकीर ही था मगर शानदार मैं भी था...

उर्दू के अदब से सजी ऐसी ही शायरी का जलवा बिखेरने वाले मशहूर शायद अनवर जलालपुरी का इंतकाल हो गया है. वह करीब 70 साल के थे. उन्होंने मंगलवार सुबह लखनऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर में आखिरी सांस ली. जलालपुरी को बीती 28 दिसंबर को ब्रेन स्ट्रोक के बाद किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था.

अनवर जलालपुरी वही शख्स हैं, जिन्होंने श्रीमद भगवद् गीता का उर्दू में अनुवाद किया है. इसके अलावा उन्होंने 'उर्दू शायरी में गीता' के नाम से एक किताब भी लिखी है, जिसमें 700 शास्त्रीय संस्कृत श्लोकों का उर्दू में अनुवाद है.

अनवर जलालपुरी शेरो-शायरी की दुनिया का जाना-माना नाम हैं. उन्हें साल 2015 में उत्तर प्रदेश के यश भारती सम्मान से नवाजा गया था.

उर्दू के अदब से सजी शायरी से मोहब्बत का पैगाम देने वाले अनवर जलालपुरी
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भगवद् गीता का उर्दू में किया अनुवाद

अनवर जलालपुरी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए भी कई पैगाम दिए. यही वजह है कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को और मजबूत करने के लिए उन्होंने भगवद् गीता का उर्दू में अनुवाद किया.

गीता का उर्दू में अनुवाद करते हुए उन्होंने लिखा-

हां धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे,

मगर ये न समझो कि मासूम थे

इधर कृष्ण अर्जुन से हैं हमकलाम,

सुनाते हैं इंसानियत का पैगाम

अजब हाल अर्जुन की आंखों का था,

था सैलाब अश्कों का रुकता भी क्या

बढ़ी उलझनें और बेचैनियां,

लगा उनको घेरे हैं दुश्वारियां

तो फिर कृष्ण ने उससे पूछा यही,

बता किससे सीखी है यह बुजदिली...

इसके अलावा अनवर जलालपुरी ने एक अन्य रचना लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा-

हम जितने भारतवासी हैं

सबका है ये नारा बाबा

हम काशी काबा के राही

हम क्या जानें झगड़ा बाबा

अपने दिल में सबकी उल्फत

अपना सबसे रिश्ता बाबा

शायरी से दिया भाईचारा मजबूत करने का संदेश

शेरो-शायरी के हर मंच पर जलालपुरी अपने शेरों में भी भाईचारे का पैगाम देते नजर आते थे. उन्होंने लिखा-

जो भी है नफरत की दीवार गिराकर देखो,

दोस्ती की भी जरा रस्म निभाकर देखो।

कितना सुख मिलता है मालूम नहीं है तुमको,

अपने दुश्मन को कलेजे से लगाकर देखो।

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जलालपुरी की शायरी में देशभक्ति की खुशबू

अनवर जलालपुरी ने देशभक्ति की खुशबू से सराबोर कई नज्में और शेरो-शायरी लिखीं. देश में हिंदू-मुसलमानों को संदेश देते हुए उन्होंने लिखा-

न तेरा है न मेरा है ये हिंदोस्तां सबका है,

नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है।

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विद्या बालन की फिल्म डेढ़ इश्किया में भी आए थे नजर

अनवर जलालपुरी विशाल भारद्वाज की फिल्म डेढ़ इश्किया में नसीरुद्दीन और माधुरी दीक्षित के साथ मंच पर मुशायरा पढ़ते नजर आए थे. फिल्म में भी जलालपुरी ने उर्दू के अदब की खुशबू को करीने से बिखेर कर दर्शकों का दिल जीत लिया था.

इसके अलावा उन्होंने साल 1988 में आए टीवी सीरियल अकबर द ग्रेट के लिए डायलॉग्स और गीत भी लिखे, जिन्हें काफी सराहा गया.

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