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भारतीय महिला इंजीनियर ने Apple पर भेदभाव का लगाया आरोप

सिलिकॉन वैली में पहले भी भेदभाव का मामला सामने आया था.

Published
भारत
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अमेरिका की टेक कंपनी एपल (Apple) में एक महिला भारतीय इंजीनियर से कथित भेदभाव का मामला सामने आया है. इंजीनियर ने इसके लिए कोर्ट का रास्ता अपनाया है. भेदभाव से जुड़े इस मुकदमे के शुरुआती दौर में Apple Inc. को झटका लगा है.

बुधवार को एक अस्थायी फैसले में, सांता क्लारा काउंटी सुपीरियर कोर्ट के जज सुनील आर कुलकर्णी ने केस को रद्द करने के लिए एपल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है. Apple ने दावा किया था कि अनीता के दावे पर्याप्त नहीं थे और वे रूढ़िवादी सोच पर आधारित थे.

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लाइव मिंट वेबसाइट के मुताबिक, अनीता नारियानी शुल्जे ने कहा कि उन्हें अपने सीनियर और डायरेक्ट मैनेजर के भेदभावपूर्ण रवैया की वजह से नौकरी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. अनीता टेक्निकल इंजीनियर के तौर पर अप्रैल 2019 से काम कर रही थीं, लेकिन सालों से भेदभावपूर्ण रवैये के सहन करने के बाद अब उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी.

उन्होंने कहा कि दोनों ने उन्हें मीटिंग से बाहर रखा, जबकि बाकी पुरुष कर्मचारियों को आने दिया. साथ ही दोनों लगातार उनकी आलोचना की, उनके काम को कम आंका और बेहतर परफॉरमेंस और टीम में महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद उन्हें बोनस से वंचित रखा गया. अनीता ने दावा किया कि उनके खिलाफ प्रबंधकों की दुश्मनी की एक वजह उनका पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र के हिंदू वंश का होना है.

वहीं जज ने अनीता के उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने पिछले चार वर्षों के दौरान एपल में नौकरी कर रही महिला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करें, जिन्होंने भेदभाव का सामना किया है. जज ने Apple से सहमत होते हुए कहा कि भेदभाव के पैटर्न को अनीता नहीं बता पाई हैं, जो कि एक बड़े ग्रुप पर लागू किया जा सके.

फिलहाल अदालत की तरफ से साफ नहीं है कि अंतिम फैसला सुनाने से पहले जज गुरुवार को सुनवाई करेंगे या नहीं. वहीं Apple ने इस मामले पर अभी तुरंत कोई जवाब नहीं दिया है.

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सिलिकॉन वैली में पहले भी भेदभाव का मामला आया था

इससे पहले कैलिफोर्निया में एक दलित भारतीय इंजीनियर से भेदभाव का मामला सामने आया था. इसके बाद कैलिफोर्निया के नियामकों ने अमेरिकी कंपनी सिस्को सिस्टम्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

सिस्को मामले में, कैलिफोर्निया के निष्पक्ष रोजगार और आवास विभाग ने आरोप लगाया था कि सैन जोस स्थित कंपनी में दो भारतीय कर्मचारियों ने जाति के आधार पर एक दलित स्टाफ के साथ भेदभाव किया.

सिस्को ने दावों से इनकार किया था और कहा था कि उनके यहां भेदभाव के लिए शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) है." साथ ही ये भी कहा था कि ये मुकदमा वापस ले लिया जाना चाहिए क्योंकि जाति अमेरिकी नागरिक अधिकार कानून के तहत एक संरक्षित श्रेणी नहीं है.

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