भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जिसे हम CAG के नाम से जानते हैं, उसने सेना को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि लेह और सियाचिन जैसी जगहों पर तैनात जवानों को कई चीजों की कमियों का सामना करना पड़ रहा है. अब इस रिपोर्ट को लेकर आर्मी चीफ जनरल नरावणे ने जवाब दिया है. उन्होंने इसे पुरानी रिपोर्ट बताया और कहा कि अब ऐसा कुछ भी नहीं है.
हाल ही में आर्मी चीफ का पदभार संभालने वाले जनरल नरवणे ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा,
“ये रिपोर्ट अभी की नहीं है. रिपोर्ट साल 2015-16 का डेटा बता रही है. इसीलिए ये थोड़ी पुरानी है. मैं ये बताना चाहता हूं कि आज हम काफी सक्षम और तैयार हैं. हम लगातार ये कोशिश कर रहे हैं कि उनकी हर जरूरतें पूरी हों.”जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, आर्मी चीफ
क्या थी CAG रिपोर्ट?
कैग की रिपोर्ट में बताया गया था कि जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट न मिल पाने की वजह से जवानों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा है.
CAG को इस रिपोर्ट के लिए सरकार की तरफ से भी जवाब दिया गया. रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बजट की कमी और सेना की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को इसका सामना करना पर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई. जिस वजह से सेना में इन सामानों की कमी हो गई.
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