सोमवार को सियाचिन में हिमस्खलन से 6 लोगों की मौत हो गई. इनमें 4 सेना के जवान और 2 आम लोग शामिल हैं. ये आम लोग पोर्टर का काम करते थे. बता दें कि हिमस्खलन की वजह से सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में आठ जवानों के फंसे होने की खबर आई थी. सोमवार देर शाम 6 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई. ये घटना दोपहर बाद साढ़े तीन बजे हुई.
जिस ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ वो समुद्र तल से 18 हजार फुट की उंचाई पर है. 8 जवानों की एक छोटी टुकड़ी सेना की एक चौकी पर बीमार व्यक्ति को निकालने के लिए गश्त पर गई हुई थी. इसी बीच हिमस्खलन हुआ और सभी 8 लोग बर्फ के नीचे दब गए.
एक सीनियर सैन्य अधिकारी ने कहा, "ये जवान गश्त पर थे. अचानक हिमस्खलन होने के कारण ये समुद्र तल से 18,000 और 19,000 फीट ऊंचाई पर बर्फीली चट्टानों के बीच फंस गए. उन्हें बचाने और खोज निकालने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है."
सेना के जवान उत्तरी सियाचिन ग्लेशियर में फंसे हुए हैं. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है. पिछले महीने लद्दाख दौरे के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ग्लेशियर को पर्यटकों के लिए फिर से खोले जाने की घोषणा की थी.
बता दें, दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन में तैनात जवानों के लिए वहां रहना काफी मुश्किल होता है. मई-जून में गर्मी के मौसम में भी वहां का तापमान -20 से -30 डिग्री रहता है. सियाचिन में जंग से ज्यादा जवान मौसम की मार से ही मर जाते हैं. भारत ने साल 1984 से यहां अपने जवानों को तैनात किया हुआ है. साल 1984 के आसपास पाकिस्तान ने इस ग्लेशियर में कब्जा करने की कोशिश की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)