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टेक्नोलॉजी खा जाएगी टेक जॉब्स, लेकिन आप ऐसे बचा सकते हैं नौकरी

50,000 रोजगार के मौके इसी साल जाने वाले हैं. ऐसा अनुमान नैसकॉम की ताजा रिपोर्ट का है

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भारत
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टेक कंपनियां अब एंट्री लेवल के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कोडिंग और टेस्टिंग जैसे काम मशीन से ही ले रही हैं. इस वजह से 50,000 रोजगार के मौके इसी साल जाने वाले हैं. ऐसा अनुमान नेस्‍कॉम की ताजा रिपोर्ट का है.
इतना ही नहीं, प्रतिष्ठित रिसर्च कंपनी Hfs के मुताबिक, देश में आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले करीब 40 लाख लोगों में से 7-10 फीसदी की नौकरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन की वजह से जा सकती है. यानी छंटनी का ये आंकड़ा 4 लाख नौकरियों  तक पहुंच सकता है.
ये तो हो गई सारी दुख, दर्द, उलझन वाली बातें. अब इससे निपटा कैसे जाए, ये भी बड़ा सवाल है.

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दरअसल, ये जितने ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बोट टाइप के नाम हैं, ये नेचुरल यानी खुद से नहीं बने हैं. इन्हें बनाने वाले और बेहतर करने वाले लोगों की भी जरूरत पड़ेगी. जितनी तेजी से ये टेक्नोलॉजी उभर रही है, उतनी तेजी से ही इसे तैयार करने वाले और इसे समझने वाले लोगों की जरूरत होगी और नौकरियों के मौके मिलेंगे.

ऐसे में अगर आप आईटी इंडस्ट्री में कदम रखने वाले हैं या यहां काम कर रहे हैं, तो इन टेक्नोलॉजी के जरिए आपकी राह आसान हो सकती है.

 50,000 रोजगार के मौके इसी साल जाने वाले हैं. ऐसा अनुमान नैसकॉम की ताजा रिपोर्ट का है
टेक कंपनियां अब एंट्री लेवल के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कोडिंग और टेस्टिंग जैसे काम मशीन से ही ले रही हैं.
(फोटो: iStock)

1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

पिछले साल जारी एसोचैम और पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन सेक्टर्स पर रोबोटिक सिस्टम और मशीन लर्निंग का ज्यादा असर होगा, उनमें आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर और फॉरेस्ट्री शामिल हैं. इन सेक्टर में ऐसे लोगों की जरूरत पड़ेगी, जो AI समझते हों और काम कर सकें.

हेल्थ सेक्टर में ऑपरेशन से लेकर मेडिसिन का सुझाव देने में भी AI का इस्तेमाल हो रहा है. हाल ही में फेसबुक ने भी कई AI के जानकारों के लिए वैकेंसी निकाली है. आप समझ सकते हैं कि सोशल मीडिया पर बोट बनाने और बोट से निपटने, दोनों के लिए AI की भारी मांग है.

2. साइबर सिक्योरिटी

 50,000 रोजगार के मौके इसी साल जाने वाले हैं. ऐसा अनुमान नैसकॉम की ताजा रिपोर्ट का है
साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
(फोटो: PTI)

साइबर सिक्योरिटी एक ऐसा मुद्दा है, जो दुनियाभर में चर्चा में बना हुआ है. सोशल मीडिया पर फैल रही नफरत, हैकिंग की अलग-अलग घटनाओं ने डिजिटल स्पेस को एक ऐसी दुनिया में बदल में बदल दिया है, जहां पुलिसिंग और सिक्योरिटी की भारी जरूरत है. वहीं कंपनियों को ये चिंता लगातार सताती रहती है कि यूजर्स का जो डेटा वो हासिल करते हैं, उसकी सुरक्षा कैसे करें.

हाल ही में फेसबुक में हुई डेटा चोरी की घटना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. फेसबुक को माफी भी मांगनी पड़ी थी. दरअसल, इंटरनेट पर जितना कंटेंट, डेटा भरता जा रहा है, उसकी तुलना में सिक्योरिटी के उपाय नहीं है. ऐसे में हर रोज साइबर सिक्योरिटी के जानकारों की मांग बढ़ती ही जा रही है.
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3. क्लाउड कंप्यूटिंग

हर चीज की एक सीमा होती है, ऐसे में सोचिए कि आप कितना डेटा अपने हार्ड डिस्क, सर्वर या कहीं और रख सकते हैं. एक लिमिट के बाद आपको और स्पेस की जरूरत तो पड़ेगी. बिलकुल ऐसा ही छोटी-बड़ी कंपनियों के साथ भी है. क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिए इस मुश्किल से निजात मिलती है. क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिए कोई यूजर या कंपनी अपने डेटा को क्लाउड बेस्ड सर्वर पर रखता है. जब जितने की जरूरत पड़ती है, उसका इस्तेमाल करता है.

गैर-जरूरी या कम जरूरी डेटा क्लाउड पर ही सुरक्षित होता है, उसके लिए कोई अतिरिक्त खर्च यूजर को नहीं उठाना पड़ता है. ऐसे में डिजिटल इंडिया के दौर में भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग की मांग तेजी से बढ़ती ही जा रही है. इस सेक्टर में फ्यूचर फिलहाल तो सिक्योर है.

4. डेटा साइंस

हर रोज तैयार होते डेटा और उसके विश्लेषण की मांग ने डेटा साइंटिस्ट की मांग बढ़ा दी है. डेटा एनालिटिक्स का मार्केट अगले कुछ साल तक तेजी से बढ़ने जा रहा है. ऐसे में आईटी इंडस्ट्री में कदम रखने वाले इसे आजमा सकते हैं.

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