AAP (Aam Admi Party) चौतरफा घिरी हुई है. कथित शराब घोटाले (Liquor Scam Case) के सिलसिले में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से ED की निर्धारित पूछताछ से पहले 2 नवंबर को दिल्ली के मंत्री राज कुमार आनंद के ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा. वहीं, अरविंद केजरीवाल ने ईडी के सामने पेश नहीं होने का फैसला लिया और विधानसभा चुनाव के मद्दनेजर प्रचार करने के लिए मध्य प्रदेश चले गए.
इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिससे पार्टी के लिए मामला और खराब हो गया.
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व अरविंद केजरीवाल की संभावित गिरफ्तारी सहित "किसी भी स्थिति" से निपटने के लिए तैयारी कर रहा है.
AAP के एक राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य ने द क्विंट को बताया...
"यह (केजरीवाल की गिरफ्तारी) वही है, जो (केंद्र) सरकार चाहती है. वे निश्चित रूप से किसी न किसी बहाने से ऐसा करेंगे. हम सभी इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं."
पार्टी का कहना है कि अगर ऐसा कुछ होता है तो उसके लिए योजना बनाई गई है.
AAP के अंदर माहौल क्या है?
केजरीवाल की गिरफ्तारी की स्थिति में AAP की क्या योजना है?
INDIA गठबंधन में क्या होगा भविष्य?
यह आर्टिकल इन्हीं तीन सवालों का जवाब देने की कोशिश करेगा.
AAP के अंदर माहौल क्या है?
AAP के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "वे अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहते हैं और AAP को नष्ट करना चाहते हैं."
पार्टी में यही भावना है कि बीजेपी किसी भी अन्य प्रतिद्वंद्वी को निशाना बनाने की तुलना में AAP को अधिक टारगेट करने में जुटी है.
AAP दिल्ली के एक विधायक ने बुधवार शाम यानी 1 नवंबर को द क्विंट से बात करते हुए आरोप लगाया...
"हम इसकी कीमत चुका रहे हैं क्योंकि हमने अलग होने से इनकार कर दिया. रिश्वत या दबाव के बावजूद हमारे किसी भी नेता ने पार्टी नहीं छोड़ी."
केजरीवाल से पूछताछ के क्रम में पंजाब के मोहाली से AAP विधायक कुलवंत सिंह पर छापेमारी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. कुलवंत सिंह देश में आम आदमी पार्टी के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं. उन पर छापेमारी को AAP के लिए फंडिंग के किसी भी संभावित स्रोत को निशाना बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
इससे AAP की पंजाब इकाई के भीतर भी तनाव पैदा हो गया है, जो अब तक कथित शराब घोटाले में केंद्रीय एजेंसियों की जांच की आंच से थोड़ी बची हुई थी.
अगर केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो AAP का क्या प्लान है?
इसके दो पहलू हैं.
पार्टी की शीर्ष खाली हुई जगह पर कौन आएगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक दोनों हैं?
ऐसे घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी की क्या प्रतिक्रिया होगी?
इस रिक्त स्थान को कौन भरेगा, इस संदर्भ में AAP नेताओं का मानक कथन यही रहा है कि "नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं है".
लेकिन खराब वक्त आता है तो, पार्टी और सरकार में लीडरशीप को लेकर आप अलग-अलग प्लान पर काम कर सकती है.
दिल्ली सरकार में, यह पद कैलाश गहलोत और गोपाल राय जैसे वरिष्ठ मंत्रियों में से किसी एक को मिल सकता है. पार्टी राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ प्रमुख निर्णय लेने के साथ सामूहिक नेतृत्व मॉडल का पालन कर सकती है.
वास्तव में अधिक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि AAP ऐसी स्थिति में क्या करने की योजना बना रही है.
AAP के एक पदाधिकारी ने द क्विंट को बताया...
"हमें वहीं वापस जाना होगा, जहां से हमने शुरुआत की थी. AAP का जन्म एक आंदोलन से हुआ था और हमें एक बार फिर वही पार्टी बनना होगा."
अगर केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर सकती है.
बेशक, यह कहने से करना मुश्किल है क्योंकि आप के मुख्य नेतृत्व का एक हिस्सा, जिसने इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, वे सभी जैसे मनीष सिसौदिया, सत्येन्द्र जैन और संजय सिंह गिरफ्तार हैं.
INDIA गठबंधन में AAP की स्थिति क्या होगी?
AAP विपक्षी 'INDIA' गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन गठबंधन के सभी सहयोगी समर्थन में आगे नहीं आए हैं.
AAP के सूत्रों के अनुसार, SP, राकांपा, शिवसेना (यूबीटी), JD-U और SP समर्थित सांसद कपिल सिब्बल जैसे दल समर्थन कर रहे हैं. कांग्रेस अब तक चुप है. हालांकि, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेता केजरीवाल के समर्थन में व्यक्तिगत तौर पर सामने आए हैं.
यह सच है कि कांग्रेस का एक वर्ग, खासकर दिल्ली और पंजाब की इकाइयां और शायद राष्ट्रीय नेतृत्व का एक हिस्सा भी AAP को कमजोर होते देखना चाहता है लेकिन ये याद रखना चाहिए कि पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनसीटी कानून पर दिल्ली और पंजाब इकाइयों को खारिज कर दिया और संसद में AAP का पुरजोर समर्थन किया था.
कांग्रेस का रुख सिर्फ AAP के साथ उसके समीकरण पर निर्भर नहीं है. कांग्रेस को इस मामले में संतुलन बनाना होगा क्योंकि AAP के खिलाफ कोई भी स्पष्ट रुख अन्य INDIA गठबंधन के सहयोगियों में अविश्वास पैदा कर सकता है.
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