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अरविंद केजरीवाल ED के समन पर नहीं होंगे पेश, क्या है दिल्ली जल बोर्ड का मामला?

अरविंद केजरीवाल को ED ने शराब नीति घोटाले मामले में भी 21 मार्च को फिर से बुलाया है.

Published
भारत
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली जल बोर्ड मामले में 18 मार्च यानी आज पूछताछ के लिए बुलाया है. केजरीवाल आज ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. AAP ने कहा कि जब कोर्ट से जमानत मिली है तो ED बार-बार समन क्यों भेज रही है? ईडी का समन अवैध है.

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ईडी ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को कथित शराब नीति घोटाले की जांच में शामिल होने के लिए 21 मार्च को फिर से बुलाया है. इस मामले में ईडी का ये नौवां समन है.

इससे पहले मामले पर AAP मंत्री आतिशी ने कहा, “सीएम केजरीवाल अदालत में पेश हुए और अदालत ने उन्हें ईडी की शिकायतों के बाद जमानत दे दी. अब मामला कोर्ट में है तो जांच होगी कि ईडी के आरोप सही हैं या गलत. लेकिन ईडी संतुष्ट नहीं है, उन्होंने आज सीएम को एक और समन जारी किया."

"यह केजरीवाल को दिल्ली में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट इरादे के अलावा कुछ नहीं दिखाता है. मोदी और उनकी बीजेपी को अदालत, लोकतंत्र या न्याय की कोई परवाह नहीं है. उन्हें सिर्फ चुनाव की चिंता है और विपक्ष को इसमें भाग लेने से कैसे रोका जाए."
आतिशी, मंत्री, दिल्ली

इससे पहले, मुख्यमंत्री ने अदालत को बताया था कि उन्होंने जानबूझकर ईडी के समन को मिस नहीं किया, लेकिन एक सीएम के रूप में अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ थे.

ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 (समन जारी करने की शक्ति) के तहत जारी एजेंसी के समन का पालन नहीं करने और जांच में शामिल नहीं होने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 190 और 200 के तहत अदालत मं शिकायत दर्ज की थी.

ईडी ने एक आवेदन में सीएम पर जांच में "असहयोग" करने का आरोप लगाया था.

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दिल्ली जल बोर्ड का मामला क्या है?

ईडी अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की जांच जुलाई 2022 के एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप से संबंधित है, जहां बोर्ड ने कथित तौर पर एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फ्लो मीटर की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग के लिए एक कंपनी को "अनुचित लाभ" दिया.

उन्होंने कहा कि इस परियोजना का मूल्य 40 करोड़ रुपये से थोड़ा कम था.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय का मामला सीबीआई की FIR और दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच से संबंधित है. ईडी ने इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड रिश्वत मामले में तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. केंद्रीय एजेंसी दिल्ली जल बोर्ड के संबंध में दो अलग-अलग कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही थी.

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