इकनॉमिस्ट और देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है. सुब्रमण्यन ने इस्तीफे के लिए प्रताप भानु मेहता के जाने से जुड़ी परिस्थितियों का हवाला दिया. मेहता ने 16 मार्च को यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया था. करीब दो साल पहले मेहता ने वाइस-चांसलर का पद भी छोड़ दिया था.
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि 'निजी और अपना कैपिटल' होने के बाद भी अशोका यूनिवर्सिटी में अकादमिक अभिव्यक्ति और आजादी के लिए जगह नहीं है.
सुब्रमण्यन ने पिछले साल जुलाई में इकनॉमिक्स डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के तौर पर यूनिवर्सिटी जॉइन की थी. वो नए अशोका सेंटर फॉर इकनॉमिक पॉलिसी के फाउंडिंग डायरेक्टर भी हैं.
अरविंद सुब्रमण्यन का इस्तीफा इस अकादमिक वर्ष के अंत से प्रभावी होगा. सुब्रमण्यन ने खुद इस बात की जानकारी यूनिवर्सिटी की वाइस-चांसलर मालबिका सरकार को भेजे अपने खत में दी है.
सुब्रमण्यन ने अपने इस्तीफे के खत में लिखा कि प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा देना यूनिवर्सिटी के अकादमिक आजादी और अभिव्यक्ति की सुरक्षा न कर पाने की नाकामी से जुड़ा है. सुब्रमण्यन ने कहा कि मेहता के जाने से ‘अशोका के विजन के लिए लड़ने और उसे बनाए रखने की यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धिता’ पर सवाल खड़े हो सकते हैं और ये उनके लिए अशोका का हिस्सा बना रहना मुश्किल कर देता है.
सुब्रमण्यन और मेहता के समर्थन में आए छात्र
अशोका यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन ने प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यन के साथ एकजुटता दिखाई है. एलुमनाई एसोसिएशन और छात्र संगठन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन और ट्रस्टी से 'पिछले दो दिनों में हुई घटनाओं के संबंध में पारदर्शिता' की मांग की है.
छात्रों ने इन इस्तीफों के लिए जिम्मेदार ‘परिस्थितियों’ की निंदा की है. छात्रों ने अपने बयान में कहा, “ये अस्वीकार्य है कि फैकल्टी सदस्यों के इस्तीफे के बारे में यूनिवर्सिटी के स्टेकहोल्डर्स को मीडिया आर्टिकल्स से पता चल रहा है.”
छात्र संगठन ने प्रताप भानु मेहता को प्रोफेसर का पद दोबारा ऑफर करने और इस्तीफे को मेहता की सहमति से सार्वजानिक करने की मांग उठाई है.
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