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आसाराम उर्फ आसुमल तांगेवाले की अजमेर दरगाह से आश्रम तक की कहानी

नाबालिग से रेप केस में जोधपुर कोर्ट ने आसाराम समेत सभी पांच आरोपियों को दोषी करार दिया है.

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बलात्कार, दो बच्चों की नरबलि, मर्डर, ऐसे कई गंभीर मामलों का आरोपी है आसाराम. इस शख्स के दरबार में बड़े-बड़े नेताओं से लेकर अभिनेता तक हाथ जोड़े खड़े रहते थे. दुनिया भर में इस शख्स के लाखों अनुयायी हैं. वैसे आसाराम का असली नाम आसुमल हरपलानी सिंधी है, जिसे आपने शायद ही सुना होगा.

आसाराम को जोधपुर की कोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले दोषी करार दिया है. लेकिन इस कथित धर्म गुरु के संत और बापू कहलाने से पहले की कहानी भी जान लीजिये.

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अजमेर दरगाह से आश्रम तक की कहानी

आज से करीब 40 साल पहले आसाराम अजमेर में तांगा चलाया करता था. जी हां, जिंदगी गुजारने के लिए अजमेर रेलवे स्टेशन से अजमेर दरगाह तक लोगों को अपने तांगे से लाया करता था. वो आसाराम बापू नहीं बल्कि आसुमल तांगेवाला के नाम से जाना जाता था.

अजमेर के डिग्गी चौक के तांगा स्‍टैंड पर अपना तांगा लगाने वाला आसाराम गुमनाम था. लेकिन वक्त और किस्मत के साथ से आसुमल ‘आसाराम बापू’ बन गया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अजमेर तांगा यूनियन के कुछ पूर्व सदस्यों ने जानकारी दी है कि पहले आसाराम को कोई नहीं जानता था लेकिन संत बनने की खबर के बाद उन लोगों को अंदाजा हुआ कि वो बड़े आदमी हो गए हैं. उसने तांगा चलाने के अलावा कुछ वक्त चाय भी बेची. आसाराम तब अपने चाचा के साथ अजमेर के शीशा खान इलाके में किराए के मकान में रहता था.

अविभाजित भारत के सिंध इलाके मतलब अबके पाकिस्तान में जन्मा आसाराम बंटवारे के बाद अपने पिता के साथ भारत आ गया था. कुछ वक्त गुजरात में रहने के बाद आसुमल राजस्थान के अजमेर पहुंचा.

आसुमल से बना आसाराम

पैसे की चाहत ने कुछ दिन बाद उसे राजस्थान से गुजरात के भरुच पहुंचा दिया. जहां वो आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह से जुड़ा, उनसे दीक्षा ली. जिसके बाद असमुल का नाम आसाराम हो गया. साल 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर मुटेरा कस्बे अपना पहला आश्रम शुरू किया. फिर साम्राज्य बढ़ा, भक्त बने और फिर एक के बाद एक आरोप. और अब जेल.

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