रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के आरोप में गिरफ्तार 42 साल के बस कंडक्टर अशोक कुमार की जेल से रिहाई हो गई है. 7 साल के प्रद्युम्न का शव 8 सितंबर की सुबह स्कूल के बाथरूम में मिला था. उसकी गला रेत कर हत्या की गई थी.
इस मामले में उसी दिन गुरुग्राम पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक को गिरफ्तार किया था और दावा किया था कि बच्चे के साथ गलत काम करने में नाकाम रहने के बाद अशोक ने उसकी हत्या कर दी.
अशोक को बनाया गया बलि का बकरा!
स्कूल स्टॉफ के दो सदस्यों और अशोक के परिवार (पिता अमीरचंद) का दावा है कि गरीब परिवार से होने के कारण अशोक को 'बलि का बकरा' बनाया गया.
अमीरचंद ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने उनके बेटे को अपराध कबूलने के लिए नशीला पदार्थ दिया और उसपर बेरहमी से अत्याचार किए. मंगलवार को जज रजनी यादव ने अशोक को 50,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी थी.
कक्षा-11 का छात्र गिरफ्तार
बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 22 सितंबर को प्रद्युम्न हत्या मामले को में उसी स्कूल के कक्षा-11 के छात्र को गिरफ्तार किया था.
सीबीआई के मुताबिक, सीनियर छात्र ने अपने जूनियर की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि वो पीटीएम और स्कूल की परीक्षा को टालना चाहता था.
पुलिस ने अशोक को किया था गिरफ्तार
वहीं हरियाणा पुलिस का दावा था कि बच्चे की हत्या बस कंडक्टर ने की है. पुलिस के मुताबिक आरोपी ने कथित तौर पर बच्चे की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वो लड़के का उत्पीड़न करने में नाकाम रहा था.
पुलिस के दावे पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे थे. हालांकि, सीबीआई ने बस कंडक्टर को क्लीन चीट नहीं दी है, लेकिन एजेंसी को उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
कुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं था और अदालत ने अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें जमानत दे दी. अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जिंदगी और स्वतंत्रता का अधिकार देता है. सीबीआई और हरियाणा पुलिस के सिद्धांतों के बीच बड़ा संघर्ष था और संदेह के लाभ के आधार पर उन्हें जमानत दी गई है.मोहित वर्मा, अशोक कुमार के वकील
वकील ने कहा, "न्यायालय के निर्णय ने साबित कर दिया कि पुलिस जांच असली अपराधी को बचा रही है और कुमार को अपराध में शामिल फंसाया गया था."
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