इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नए मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने अपना पदभार संभालने के बाद ट्विटर के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस मुद्दे पर वैष्णव ने कहा है, ''हर किसी को देश के कानून का पालन करना चाहिए.''
इसके अलावा, एनडीटीवी के मुताबिक, वैष्णव ने कहा है कि देश का कानून सबसे ऊपर है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि ट्विटर नियमों का पालन करे.
बता दें कि नए आईटी नियमों का पालन कराने को लेकर, वैष्णव से पहले उनके मौजूदा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाले रविशंकर प्रसाद ने भी ट्विटर को कई बार चेतावनी दी थी.
हालांकि, ट्विटर ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि उसे (नए आईटी नियमों के तहत) शिकायत निवारण अधिकारी के तौर पर किसी भारतीय नागरिक की नियुक्ति के लिए आठ हफ्ते का समय चाहिए.
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ट्विटर को आठ जुलाई तक यह बताने का निर्देश दिया था कि नए आईटी नियमों के अनुपालन में वह स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी (आरजीओ) की नियुक्ति कब तक करेगा.
इससे पहले माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने हाई कोर्ट को सूचित किया था कि वह स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया में जुटा हुआ है.
इस बीच, जस्टिस रेखा पल्ली ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की थी कि अदालत को यह सूचित नहीं किया गया था कि स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की इससे पहले नियुक्ति केवल अंतरिम आधार पर हुई थी और वह इस्तीफा दे चुके हैं.
प्रसाद ने ट्विटर को लेकर क्या कहा था?
रविशंकर प्रसाद ने सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रहते हुए पिछले दिनों कहा था, 'इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर सेफ हार्बर प्रावधान का हकदार है. हालांकि, इस मामले का साधारण तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू होने वाली इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स का पालन करने में नाकाम रहा है.''
इसके अलावा उन्होंने कहा था कि ट्विटर को इनका अनुपालन करने के लिए कई मौके दिए गए थे, हालांकि उसने जानबूझकर अनुपालन न करने का रास्ता चुना.
प्रसाद ने कहा था कि चौंकाने वाली बात यह है कि ट्विटर देश के कानून के तहत अनिवार्य प्रक्रिया को स्थापित करने से इनकार करके यूजर्स की शिकायतों को दूर करने में नाकाम रहता है, इसके अतिरिक्त, वो अपने हिसाब से ही मैनिपुलेटेड मीडिया फ्लैग करने की नीति चुनता है.
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