1 जुलाई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी न्यायालय (NIA Court) ने असम के एक्टिविस्ट और सिबसागर से विधायक अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) को नागरिकता संशोधन कानून(CAA) विरोधी हिंसा के मामले में उनपर लगे अंतिम आरोप से भी बरी कर दिया. इसी के साथ अखिल गोगोई रिहा हो गए हें और अब उन्होंने NIA पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में अखिल गोगोई का दावा है कि हिरासत के दौरान NIA ने बार-बार आरएसएस और बीजेपी में शामिल होने का दबाव डाला. गोगोई का ये भी कहना है कि NIA के ऑफिशियल्स उनसे केस के बारे में पूछताछ नहीं करते थे और ज्यादातर राजनीतिक मुद्दों पर ही बातचीत करते थे,.
पहले उन्होंने मुझे बीजेपी में रिक्रूट करने की कोशिश की फिर वो आरएसएस में मुझे लाना चाह रहे थे लेकिन जब मैंने ज्वाइन करने से मना कर दिया तब उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. मैंने कोर्ट में भी ये मुद्दा रखा कि ये लोग मुझे रिक्रूट करना चाहते थे. मैंने कहा कि केस के अलावा ये मुझसे सिर्फ राजनीति के मुद्दे पर बात करते हैं.
असम का हर शख्स जानता है मैं माओवादी नहीं- अखिल गोगोई
अखिल गोगोई का आरोप है कि उन्हें माओवादी के तौर पर लगातार प्रोजेक्ट किया गया और ऐसा साबित करने की कोशिश की गई कि माओवादियों से उनके कनेक्शन है. इस बातचीत में वो कहते हैं कि असम का हर एक शख्स जानते है कि वो एक्टिवस्ट और आंदोलनकारी हैं, माओवादी नहीं. गोगोई का कहना है कि वो अब UAPA के खिलाफ कैंपेन चलाएंगे, जिससे इस कानून को खत्म कराए जाने की मांग बड़े पैमाने पर रखी जा सके.
गोगोई पर UAPA के दो मामले दर्ज
अखिल गोगोई को पहली बार 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट में एक CAA विरोधी रैली के बाद गिरफ्तार किया गया था. उनका केस 2 दिन बाद NIA को स्थानांतरित कर दिया गया और उन पर देशद्रोह के आरोप में और गैरकानूनी गतिविधि( रोकथाम) अधिनियम, UAPA के प्रावधानों के तहत कथित रूप से प्रतिबंधित CPI(माओवादी) के एक भूमिगत कार्यकर्ता होने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
CAA विरोधी आंदोलन में हिंसा भड़काने के आरोप में सिबसागर, डिब्रूगढ़ , गौरीसागर, तेओक, जोरहाट समेत कई शहरों के पुलिस स्टेशन में गोगोई के खिलाफ FIR दर्ज किया गया था, जिनमें से 2,चांदमारी और चाबुआ में दर्ज मामले को NIA ने अपने पास मंगा लिया.
गोगोई को पिछले महीने चाबुआ मामले सहित सभी मामलों में बरी कर दिया गया था. हालांकि उनके वकीलों के अनुसार चांदमारी मामले की जमानत याचिका को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जनवरी में और सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में खारिज कर दिया था.जून में चाबुआ मामले में बरी होने के बाद NIA ने चांदमारी मामले में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर दिया.
गुरुवार के अपने 120 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने गोगोई को सभी आरोपों में बरी कर दिया है और माना कि दायर चार्जशीट में गवाह योग्य नहीं हैं.
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