असम (Assam) में ‘चाइल्ड मैरिज’ को लेकर राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है. अब तक इस तरह के मामलों में 2,441 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इस पर विपक्ष की तरफ से आलोचना की जा रही है और प्रभावित परिवारों द्वारा विभिन्न स्थानों पर विरोध किया है. धूबरी जिले में ‘बाल विवाह’ के 374 केस दर्ज किए गए हैं, जो राज्य में किसी अन्य इलाके के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं.
मुख्यमंत्री सरमा ने अपने ट्वीट के जरिए गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बताई.
Telegraph की रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई शुरू होने के बाद प्रभावित परिवारों के सदस्य पुलिस स्टेशनों पर इकट्ठा हो रहे हैं और रिहाई की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा अलग-अलग हिस्सों- बराक घाटी, मोरीगांव, धूबरी और नागांव जिलों में विरोध प्रदर्शन किए गए हैं.
इस बीच, कामुप जिले के रंगिया में सात लोगों को जमानत भी दी गई है.
2 फरवरी 2023 को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐलान किया कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों को POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस) एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जाएगा. इसके अलावा 14-18 साल की लड़कियों से शादी करने वालों को भी बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार करने का ऐलान किया गया.
हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा था कि कल से बाल विवाह में शामिल हजारों लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा, इस तरह के पुराने मामलों में शामिल लोग भी गिरफ्तार होंगे.
मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद राज्य भर में गिरफ्तारियों की कवायद शुरू हो गई है. सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वो पीड़ितों और उनके बच्चों की देखभाल करें.
विपक्ष ने उठाए सवाल
क्रैकडाउन के पीछे के मकसद पर सवाल उठाते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवासी ने कहा कि अगर बाल विवाह की समस्या है तो असम सरकार को साक्षरता के स्तर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था.
एक्सपर्स्ट कह चुके हैं कि अगर आप बाल विवाह को रोकना चाहते हैं, तो आपको बहुत सारे स्कूल खोलने होंगे, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया है. आपने मदरसों को भी बंद कर दिया है, जो तालीम दे रहे थे. घर के मर्दों की गिरफ्तारी के बाद महिलाओं के लिए कौन जिम्मेदार होगा.असदुद्दीन ओवैसी, AIMIM अध्यक्ष
असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए एक मानवीय नजरिए की जरूरत थी.
हम बाल विवाह के विरोध में हैं लेकिन बड़े बच्चों के साथ बसे हुए परिवारों को परेशानी में डालने का क्या फायदा होगा? यह एक प्रचार स्टंट के अलावा कुछ भी नहीं है.भूपेन बोरा, असम कांग्रेस अध्यक्ष
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