असम (Assam) के दरांग जिले में 20 सितंबर को कथित अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा में असम प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Right Commission) ने बड़ा आदेश दिया है.
NHRC ने मंगलवार, 14 दिसंबर को सरकार को आदेश दिया कि इस घटना में असम प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग द्वारा दायर याचिका पर तत्काल कार्रवाई करे और अधिकारी 8 सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट सौंपें.
NHRC ने दिए ये आदेश
असम प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने जो शिकायत पत्र राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने रखा है उसमें आधार पर आयोग ने ये आदेश दिये हैं.
अतिक्रमण हटाने के नाम पर अल्पसंख्यकों को उनकी जमीन से बेदखल करने की स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए जाएं.
जो लोग इस घटना में बेदखल हुए हैं उनके लिए तत्काल पुनर्वास के इंतजाम किए जाएं.
घटना के दौरान घायल हुए लोगों को मुआवजा मिले.
हिंसा में शामिल सरकारी अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड किया जाए.
NHRC ने इसी याचिका के आधार पर सरकार को कार्रवाई करके 8 हफ्तों में रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है.
क्या है पूरा मामला?
असम के दरांग जिले (Darrang Firing) के धौलपुर में 20 सितंबर को अतिक्रमण हटाने गई पुलिस और आम लोगों के बीच हिंसा हो गई थी. इस घटना में पुलिस की फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य लोग घायल हो गए थे. इसमें कम से कम 11 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे.
यहां से एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें एक फोटो जर्नलिस्ट एक शख्स जिसे गोली मारी गई थी, उसके ऊपर कूदता हुआ दिख रहा है. इस घटना को लेकर असम सरकार की चौतरफा आलोचना हुई थी.
इस घटना पर दरांग के एसपी, सुशंता बिस्वा सरमा ने इलाके के लोगों पर ही आरोप लगाते हुए कहा था कि, "इलाके में करीब 1500-2000 लोग जमा थे. पहले तो कोई बात नहीं बनी, लेकिन जब पुलिस ने जेसीबी वाहनों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया तो भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और पुलिस पर चाकू, भाले और अन्य चीजों से हमला कर दिया."
जून में दिए थे अतिक्रमण हटाने के आदेश
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इसी साल 7 जून को दरांग के सिपझार में कहा था, "असमिया पहचान की रक्षा के लिए असम के सभी हिस्सों से घुसपैठियों को हटाया जाएगा." सरमा ने कृषि उद्देश्यों में युवाओं के रोजगार के लिए सरकार के स्वामित्व वाली 77,000 बीघा से अधिक भूमि से अतिक्रमण हटाने का वादा किया था.
सरकार जिस जमीन पर अतिक्रमण की बात कह रही है, उस इलाके में एक शिव मंदिर भी है. मुख्यमंत्री ने मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोगों से यहां मनिकुट, गेस्ट हाउस और बाउंड्री बनाने का भी वादा किया था.
800 परिवारों को हटाया गया था
अधिकारियों का कहना है कि बंगाली भाषी मुसलमानों के लगभग 800 परिवार कई सालों से लगभग 4,500 बीघा (602.40 हेक्टेयर) सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रह रहे थे और सरकार ने हाल ही में बसने वालों को हटाकर भूमि का इस्तेमाल कृषि उद्देश्यों के लिए करने का फैसला लिया.
(इनपुट - मोहम्मद सरताज आलम)
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