असम और मेघालय (Assam and Meghalaya) के बीच मौजूद सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता में 2 पैनलों का गठन किया जाएगा. इसकी सूचना दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ने 6 अगस्त को ट्विटर के माध्यम से दी.
6 अगस्त को असम-मेघालय सीमा विवाद पर दूसरी मुख्यमंत्री स्तरीय बैठक के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने उम्मीद जताई कि यह कदम दोनों राज्यों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा तथा दोनों किसी पारस्परिक सहमत समाधान पर पहुंचेंगे.
किन बातों पर बनी सहमति ?
दोनों मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके बताया कि पैनल का शुरुआती उद्देश्य 12 विवादित क्षेत्रों में से 6 में चरणबद्ध तरीके से सीमा विवाद को सुलझाना होगा. यह विवादित स्थल हैं-
अयाबरी
गिजांग
बोकलापारा
पिल्लंगकारा
हाहिम
राताचेरी
दोनों राज्यों से पांच-पांच सदस्यों वाला पैनल बनेगा जिसमें कैबिनेट मंत्री और नौकरशाह शामिल होंगे. दोनों पैनल के 10 सदस्य विवादित क्षेत्रों का संयुक्त दौरा करेंगे. इसके बाद पैनल पारस्परिक रूप से सहमत समाधान खोजने के लिए अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.
मेघालय और असम दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अनुसार विवाद को सुलझाने के लिए निम्न पांच पक्षों का ध्यान रखा जाएगा-
ऐतिहासिक सबूत
जातीयता
प्रशासनिक सहूलियत
संबंधित लोगों की भावनाएं
भूमि की राज्य से निकटता
असम-मिजोरम सीमा विवाद के बाद महत्वपूर्ण है ये कदम
असम और मेघालय के बीच पुराने सीमा विवाद को सुलझाने की यह कवायद तब हो रही है जब 26 जुलाई को हिंसक झड़प के बाद असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव काफी बढ़ गया था.
हालांकि 5 अगस्त को दोनों राज्य सरकारों ने ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा था कि वह सीमा विवाद का स्थाई समाधान खोजने का प्रयास करेंगे.
असम-मिजोरम सीमा विवाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दखल देना पड़ा. 26 जुलाई को हुई हिंसा में असम के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. बाद में जहां मिजोरम ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता सरमा पर केस दर्ज कर दिया था, वहीं असम ने भी मिजोरम के एकमात्र राज्यसभा सांसद के वनलालवेना के खिलाफ असम में मामला दर्ज किया.
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