ADVERTISEMENTREMOVE AD

असम में नागरिकता से जुड़ा डेटा NRC वेबसाइट से क्यों हुआ गायब?

एनआरसी डेटाबेस वेबसाइट से हुआ ऑफलाइन

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट का डेटा अधिकारिक वेबसाइट से ऑफलाइन हो गया है. इसका मतलब ये है कि क्लाउड से डेटा गायब हो गया है और इसे ऑनलाइन नहीं देखा जा सकता.

ये एनआरसी का पूरा डेटाबेस है, जिसमें असम के उन सभी लोगों के नाम हैं, जो फाइनल एनआरसी लिस्ट में शामिल हुए हैं और जो नहीं हैं.

कोई भी आधिकारिक वेबसाइट nrcassam.nic.in पर जाकर एनआसी स्टेटस चेक कर सकता है. इसके लिए बस 21 अंकों के एप्लीकेशन या एआरएन नंबर की जरूरत होती है.

इस रिपोर्ट को फाइल करते समय, रिपोर्टर ने अपने एआरएन नंबर का इस्तेमाल किया, लेकिन वो अपना डेटा एक्सेस नहीं कर पा रहा था.

एनआरसी स्टेट को-ऑर्डिनेटर हितेश देव शर्मा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा:

‘इतने ज्यादा डेटा के लिए क्लाउड सर्विस विप्रो ने मुहैया कराया था और उनका कॉन्ट्रैक्ट पिछले साल 19 अक्टूबर तक था. इसे पहले वाले को-ऑर्डिनेटर (प्रतीक हजेला) ने रिन्यू नहीं कराया था. इसलिए, विप्रो के सस्पेंड करने के बाद डेटा 15 दिसंबर के बाद ऑफलाइन हो गया. मैंने 24 दिसंबर से ऑफिस संभाला है.’
हितेश देव शर्मा, एनआरसी को-ऑर्डिनेटर

गृह मंत्रालय का कहना है कि एनआरसी डेटा का ऑफलाइन जाना बस क्लाउड में विजिबिलिटी की एक टेक्निकल समस्या है, जो जल्द ही ठीक कर दी जाएगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
एनआरसी, गृह मंत्रालय के अंदर आने वाले रजिस्टर जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने इंप्लिमेंट किया था. इस प्रोजेक्ट में करीब 50,000 सरकारी अधिकारियों और 7,000 डेटा एंट्री ऑपरेटर्स ने काम किया था. इस पूरी प्रक्रिया में 1,600 करोड़ रुपये का खर्चा आया था.

लेकिन, एनआरसी को मॉनिटर करने के लिए रजिस्टर जनरल ऑफ इंडिया का असम में ऑफिस तक नहीं है. एनआरसी के लिए फंड के रेगुलर फ्लो के लिए गृह मंत्रालय के पास एक सिस्टम भी नहीं है.

डेटा एंट्री ऑपरेटर्स की सैलरी मिलने में देरी ने समस्या को और गंभीर बना दिया. सैलरी 5,050 रुपये से भी कम है, जो 3 महीने में एक बार दी जाती है.

एनआरसी का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, तो ये बिल्कुल भी हैरान करने वाला नहीं है कि क्लाउड सर्विस को समय पर रिन्यू नहीं किया गया. बची हुई रिनिवल फी 70 करोड़ के करीब है.

असम में फाइनल NRC में 19 लाख से ज्यादा लोग अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे. और इसी 'गायब' हुए डेटा के आधार पर, इन 19 लाख लोगों को बाहर करने का कारण बताते हुए रिजेक्शन की स्लिप दी जानी थी. भारतीय नागरिकता का दावा करने के लिए विदेशी ट्रिब्यूनल से संपर्क करने के लिए ये उनके लिए जरूरी था. अभी तक किसी को भी रिजेक्शन स्लिप नहीं दी गई है और अब पूरी प्रक्रिया अधर में लटक गई है.

लेकिन थोड़ी उम्मीद अभी बाकी है. एनआरसी प्रशासन डेटा की हार्ड कॉपी भी रखते हैं. अगस्त 2018 में, रिपोर्टर ने नागांव जिले में एक एनआरसी सेवा केंद्र में लिस्ट में अपना नाम वेरिफाई करवाया था.

कई आवेदकों के लिए, सेवा केंद्र इकलौता जरिया है जहां वो रजिस्टर्स में अपना नाम चेक कर सकते हैं. इस पूरे घटनाक्रम में, बस यही उम्मीद है कि इस सेंसेटिव एनआरसी डेटा की हार्ड कॉपी सुरक्षित रखी गई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×