असम में फाइनल NRC में 19 लाख से ज्यादा लोग अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे. लगभग 3 करोड़ 11 लाख लोगों के नाम इसमें हैं. NRC का मकसद अवैध रूप से रह रहे विदेशियों की पहचान का है . भले ही सरकार ने कहा है इसमें किसी का नाम होने का मकसद यह नहीं है कि वह विदेशी है. असम में सरकार की इस कवायद पर विदेशी मीडिया में अलग-अलग ढंग से प्रतिक्रिया हुई है.
आगे क्या होगा पता नहीं : वाशिंगटन पोस्ट
‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने लिखा है कि सिटिजनशिप लिस्ट से लगभग 20 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है. एक लंबे आलेख में अवैध प्रवासियों को बाहर करने के मकसद से लाई सिटिजनशिप लिस्ट के नतीजों की चर्चा की गई है. इसमें सायरा बेगम का जिक्र है जो लिस्ट में अपना नाम होने की अफवाह से कुएं में कूद गई थीं.
अखबार ने आंखों में आंसू लिए कई लोगों से बातचीत की है और याद दिलाया है कि अमित शाह ने बांग्लादेशी प्रवासियों को घुसपैठिया और दीमक करार दिया था. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार अक्सर असम की तरह ही देश के दूसरे हिस्सों में इस तरह का एनआरसी लाने की बात करती रही है.
असम का संकट बड़ी त्रासदी में तब्दील हो सकता है : गार्जियन
ब्रिटिश अखबार ‘गार्जियन’ ने लिखा है कि असम में मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे संगठनों ने सरकार को चेताया है कि इससे बड़ी तादाद में लोगों के सामने संकट खड़ा हो सकता है. बड़ी तादाद में लोग राज्य विहीन हो जाएंगे और इन्हें डिटेनशन सेंटरों में रखा जा सकता है.
गार्जियन ने NRC से सीधे प्रभावित लोगों के इंटरव्यू लिए हैं और इस पूरे मामले से उत्तेजित कार्यकर्ताओं और वकीलों से बात की है. इन लोगों का कहना है कि आगे क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे गलत तरीके से बड़ी तादाद में लोगों को इस लिस्ट से बाहर रखा गया है. ऐसे लोगों में गरीब महिलाएं और पुरुष हैं, जो जरूरी दस्तावेज नहीं पेश कर सके.
क्या मुसलमानों को जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है : अल जजीरा
‘अल-जजीरा’ ने एक आर्टिकल ने लिस्ट में से बाहर रह गए लोगों के सामने आने वाली कानूनी दिक्कतों का जिक्र किया है. इसमें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि कोर्ट में कुछ दिनों में मुकदमों की भरमार हो जाएगी.
नई दिल्ली स्थित राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप के डायरेक्टर के सुहास चकमा ने कहा कि आप इस स्थिति की कल्पना कीजिये कि 120 दिनों के भीतर ही फॉरनर्स ट्रिब्यूनलों में 20 से 30 लाख मामलों के ढेर लग जाएंगे. अल जजीरा ने सवाल उठाया है कि क्या सत्ताधारी पार्टी (बीजेपी) मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है.
लिस्ट से बाहर के लोगों में कोई बांग्लादेशी नहीं : डेली स्टार
यह बांग्लादेशी अखबार ‘डेली स्टार’ के एक आलेख का शीर्षक है ‘इसमें कोई बांग्लादेशी नहीं’. जाहिर है यह कहा जा रहा है कि लिस्ट से बाहर रखे गए लोगों में कोई बांग्लादेशी नहीं है. इसमें बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि लिस्ट से बाहर जो लोग हैं इसमें कोई बांग्लादेशी है.मोमिन ने कहा है कि NRC भारत का अंदरुनी मामला है. हमें इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं.
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