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‘उसने गांधी को क्यों मारा’ किताब के लेखक कंगना को भेजेंगे कॉपी

‘उसने गांधी को क्यों मारा’ के लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कंगना पर तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया

Published
भारत
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' उसने गांधी को क्यों मारा' के लेखक अशोक कुमार पांडेय ने एक्टर कंगना रनौत को अपनी किताब की एक कॉपी भेजने का फैसला किया है. उनका कहना है कि कंगना ने इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर एक हत्यारे को हीरो बनाने की कोशिश की है. लेखक का कहना है कि जब कंगना ऐसे मुद्दों को लेकर बयान दे सकती है तो, इस पर उनका जवाब लेना भी जरूरी है.

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किसी भी हद तक जाने को तैयार कंगना

लेखक अशोक ने कहा, "कंगना कुछ समय से लगातार खुद को दक्षिणपंथ का प्रवक्ता साबित करने की जद्दोजहद कर रही हैं. इतिहास की शून्य समझ, प्रचार की भूख और किसी जिम्मेदारी का एहसास न होना उन्हें एक ऐसी सेलिब्रिटी में तब्दील कर रहा है जो पॉपुलर होने के लिए खुद को किसी हद तक ले जाने को तैयार है." लेखक ने आगे कहा,

“एक कलाकार और अब फिल्म निर्माता के रूप में आत्मप्रचार उनका हक है, लेकिन जब वो इतिहास के तथ्यों के साथ खुलेआम छेड़छाड़ कर रही हैं और नाथूराम गोडसे जैसे हत्यारे को हीरो बनाने की कोशिश कर रही हैं, तो जरूरी हो जाता है कि उसका जवाब दिया जाए.”

उन्होंने कहा, पहली बात तो यही कि गोडसे भारत के कानून से सजा पाया हुआ एक हत्यारा है. ठीक वैसे ही जैसे अफजल गुरु या बेअंत सिंह, देशभक्त और देशद्रोही की संकीर्ण परिभाषाओं से बाहर निकल कर देखें तो ऐसे हत्यारों का महिमामंडन असल में हमारी अदालतों और हमारे संविधान का अपमान है. ये कौन सी देशभक्ति है जो संविधान और अदालतों का अपमान सिखाती है?

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किताब ‘ उसने गांधी को क्यों मारा’ के लेखक अशोक कुमार ने बताया कि वो, कंगना को अपनी किताब की एक प्रति भेजेंगे. जिससे कंगना अगर चाहें तो महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े असल तथ्यों को जान सकें.

'झांसी और गोडसे की भक्ति!'

अशोक कहते हैं, कंगना खुद को एक फिल्म में अपने रोल के चलते रानी झांसी कहलवाना पसंद करती हैं. अब ये उम्मीद करना तो उनके साथ ज्यादती होगी कि उन्हें पता होगा कि रानी झांसी बांदा के नवाब अली बहादुर को भाई की तरह मानती थीं और उन्हें राखी बांधती थीं. या फिर ये कि उनके अंगरक्षक और तोपखाने के प्रमुख के अलावा भी उनकी सेना मे बड़ी संख्या मे मुसलमान थे. लेकिन इतना तो हर भारतीय जानता है कि झांसी की वो वीर रानी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थीं. आश्चर्यजनक है कि कंगना उस गोडसे को किसी तीसरे एंगल से हीरो बनाने की कोशिश करती हैं, जो अंग्रेजों से लड़ने के बजाय एक कायराना षड्यन्त्र में महात्मा गांधी की हत्या करना चुनता है.

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स्कूली किताबें और इतिहास का सच

गोडसे को लेकर किताब लिखने वाले अशोक ने कहा, जब आपके पास कोई तर्क नहीं होता तो आप कुछ भी कहने के लिए आजाद होते हैं. उन्होंने कहा, गोडसे को लेकर कंगना ने कहा है कि हर किसी की कहानी के तीन पहलू होते हैं, आपका, मेरा और सच. वो स्कूली किताबों की बात करती हैं. उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि झांसी की रानी, तात्या टोपे, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के बारे मे उन्हें कहां से पता चला? उनका नाम और उनके शौर्य भी तो उन्हीं स्कूली किताबों मे दर्ज हैं जिनमें महात्मा गांधी के किस्से दर्ज हैं और जिनमें गोडसे को हत्यारा कहा जाता है. फिर कंगना का ये तीसरा पहलू क्या है?

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आजादी के नायकों की आलोचना करता था गोडसे

उन्होंने तथ्यों के आधार पर कहा, गोडसे का इतिहास एक सांप्रदायिक अखबार अग्रणी निकालने का है जिसमें गांधी ही नहीं, पटेल, सुभाष, अंबेडकर जैसे आजादी की लड़ाई के उन नायकों की तीखी आलोचना की जाती थी जिनकी तारीफ अक्सर कंगना, गांधी और नेहरू को नीचा दिखाने के लिए करती हैं. इसके अलावा उसका योगदान सांप्रदायिक दंगों के समर्थन का है और फिर गांधी की हत्या का.

कंगना और उनके समर्थकों का ये नायक इतना बड़ा देशभक्त है कि उसके खून मे भगत सिंह की फांसी या आजाद हिन्द फौज के संघर्ष के समय जरा भी उबाल नहीं आता और जब उसके गुरु सावरकर सुभाष बाबू की सेना के खिलाफ भर्ती कराते हैं तो उसका सगा भाई गोपाल गोडसे न केवल उस सेना मे भर्ती होता है बल्कि उस समय मिली बंदूक से उस गांधी की हत्या का षड्यन्त्र रचता है, जिसे सुभाष बाबू ने ‘राष्ट्रपिता’ कहकर पुकारा था.
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अशोक ने कहा, गोडसे पर कंगना का बयान केवल सस्ती लोकप्रियता पाने का एक घटिया तरीका है जो उनसे देश की आजादी की लड़ाई का अपमान करवा रहा है. ऐसी हरकतों से आज उनको कुछ लोगों की ताली मिल जाएगी लेकिन इतिहास मे उनका नाम हमेशा के लिए कलंकित हो जाएगा.

बता दें कि कंगना रनौत ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने गोडसे का भी जिक्र किया. जिसमें कंगना को गोडसे का समर्थन करते हुए देखा गया था. इस मामले को लेकर कंगना की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना भी हुई थी.

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