लक्षद्वीप (Lakshadweep) में राजद्रोह (Sedition) के आरोपों का सामना कर रही एक्टिविस्ट और फिल्ममेकर आयशा सुल्ताना (Ayesha Sulthana) को पुलिस ने 24 जून को पूछताछ के बाद छोड़ दिया. आयशा सुल्ताना से पुलिस ने रविवार, बुधवार और गुरुवार को पूछताछ की. पूछताछ के बाद आयशा ने कहा कि वो अब कोच्चि जा सकती हैं.
एक स्थानीय बीजेपी नेता ने आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह का केस किया था. ये केस सुल्ताना के लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल के पटेल पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर किया गया था.
करीब तीन घंटे तक चली पूछताछ के बाद, सुल्ताना ने कहा, “सब कुछ खत्म हो गया है. मुझे बताया गया है कि मैं कोच्चि वापस जा सकती हूं. मैं कल या एक दिन बाद कोच्चि पहुंचूंगी.”
क्या था मामला?
आयशा ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को केंद्र सरकार का बायोवेपन कहा था, जो लक्षद्वीप पर इस्तेमाल किया गया है. एक टीवी डिबेट में, आयशा ने कहा था कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल एक बायोवेपन की तरह कर रही है.
इस बयान को लेकर लक्षद्वीप में बीजेपी ने प्रदर्शन किया था. लक्षद्वीप बीजेपी के प्रमुख सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर कवरत्ती पुलिस स्टेशन में आॉयशा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
केरल हाईकोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका में, फिल्ममेकर ने कहा कि उन्होंने 'बायोवेपन' वाली टिप्पणी कोविड प्रोटोकॉल में ढील देने वाले प्रशासन की आलोचना करने के संदर्भ में की थी, जिसके कारण द्वीप पर तेजी से महामारी फैली, जहां जनवरी 2021 में कोविड का एक भी केस नहीं था.
17 जून को केरल हाईकोर्ट ने सुल्ताना को अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी.
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