सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी गई है. ये फैसला सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली नई पीठ ने लिया है, जिसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ भी शामिल हैं.
इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. बता दें, ये मामला 2010 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन इस मसले पर अब तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा?
अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से नई तारीख मिलने पर सरकार और विपक्ष के तमाम नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
हिंदुओं का सब्र टूट रहा हैः गिरिराज सिंह
अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है. मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री
सुनवाई टालना अच्छा संकेत नहींः केशव प्रसाद मौर्य
मैं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. सुनवाई टाला जाना अच्छे संकेत नहीं है.केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम, यूपी
अध्यादेश लाकर दिखाए सरकारः ओवैसी
अयोध्या सुनवाई मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘सरकार राम मंदिर पर ऑर्डिनेंस क्यों नहीं लाती? वो लेकर आएं...हर वक्त वो डराते रहते हैं कि वह मंदिर बनाने के लिए ऑर्डिनेंस लेकर आएंगे. बीजेपी, आरएसए और वीएचपी सब यही कह रहे हैं. आप सत्ता में हैं. मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वह ऑर्डिनेंस लाकर दिखाएं.असदुद्दीन ओवैसी
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
इस मामले में आखिरी सुनवाई बीती 27 सितंबर को हुई थी. इस दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पीठ ने दो-एक के बहुमत से आदेश दिया था कि विवादित भूमि के मालिकाना हक वाले दीवानी मुकदमे की सुनवाई तीन जजों की नई पीठ 29 अक्टूबर को करेगी.
पीठ ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं मानने वाले इस्माइल फारूखी मामले में 1994 के फैसले के अंश को पुनर्विचार के लिए सात जजों की पीठ को भेजने से मना कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि विवादित जमीन पर मालिकाना हक का निर्धारण साक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा. इसलिए पिछले फैसले का मौजूदा मामले से कोई संबंध नहीं है.
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