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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या: मेरी आंखों-देखी

जानिए फैसले के दिन कैसा रहा भारी सुरक्षा के बीच अयोध्या का मिजाज

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तीन महिलाएं बांस के बैरियर को पार करती हुई अयोध्या की राम जन्मभूमि करशाला में चली जा रही हैं. वे करशाला में काम करने वाली महिलाओं को खुशखबरी देने जा रही हैं. इस करशाला को अशोक सिंघल ने 1993 में बनाया था.


सुप्रीम कोर्ट ने अभी-अभी लंबे समय से चली आ रही मंदिर-मस्जिद की लड़ाई में अपना फैसला सुनाया है. हिंदू पक्ष को विवादित जमीन का दावा सौंप दिया गया है. वहीं मुस्लिमों को दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने का निर्देश दिया है.

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जानिए फैसले के दिन कैसा रहा भारी सुरक्षा के बीच अयोध्या का मिजाज
एक महिला उन पत्थरों की पूजा करती हुई, जिनसे राम मंदिर बनेगा
फोटो: अभिषेक रंजन/द क्विंट
जानिए फैसले के दिन कैसा रहा भारी सुरक्षा के बीच अयोध्या का मिजाज

हालांकि मीडिया और सोशल मीडिया पर लोग ऐसी बातें कर रहे हैं कि यह एक संतुलित फैसला है और दोनों पक्षों को कुछ न कुछ दिया गया है. लेकिन अयोध्या में केवल हिंदू पक्षही खुशियां मनाता हुआ दिखाई दे सकता है.

अपने घर के बाहर फैसले पर पुष्कर अपने छोटे भाई के साथ पटाखे जला रहा है. उसका घर हनुमान गढ़ी के पास है, जहां से विवादित जगह का रास्ता जाता है. यहां मौजूद पुलिस वाले ने पुष्कर से फैसले पर होने वाले किसी भी जुलूस में शामिल न होने के लिए कहा है. उसने पुलिस वाले की बात मानी और वापस आकर मोबाइल पर खबरें पढ़ने लगाय. बतौर पुष्कर

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यह साफ है कि अब विवादित जमीन पर मंदिर बनाया जाएगा. अयोध्या के लिए असली दिवाली आज है.
पुष्कर, स्थानीय निवासी

वहीं भगवान और देवियों की मूर्ति बनाने वाली दुकान में खड़ा दुकानदार अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहता है, 'अब राम मंदिर के रास्ते में कोई रुकावट नहीं आएगी.' जश्न का माहौल देर शाम तक चलता रहा. कुछ परिवार राम की पैदी घाट पर दिए जलाते नजर आए.

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देवी-देवताओं की मूर्तियों के बीच डॉ अंबेडकर की मूर्ति
फोटो: अभिषेक रंजन/द क्विंट
अयोध्या में बीएससी के एक छात्र रामजी पांडे ने क्विंट को बताया, ‘मैंने अपने पिता से सुना कि मेरे दादा की 90 के दशक में हुई हिंसा में मौत हो गई थी. मुझे याद नहीं किस घटना में उनकी मौत हुई, पर यह दिन हमारे घर-परिवार के लिए बेहद अहम है.’

पांडे के मुताबिक अयोध्या की इकनॉमी अब तेजी से बढ़ सकेगी. लोगों की बड़ी संख्या अयोध्या आएगी.

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पटाखे चलाता पुष्कर
फोटो: अभिषेक रंजन/द क्विंट

हम खुश नहीं हैं, पर कम से कम हमें डर के माहौल में नहीं रहना पड़ेगा: अयोध्या के मुस्लिम

धीरे-धीरे शुरू हुआ जश्न अब तेज होता जा रहा है. लेकिन टेरी बाजार के पास माहौल शांत है. कुछ लोगों ने वहां कमेंट करने से इंकार कर दिया. कुछ मुस्लिमों ने फैसले को मान लिया है.

आसिफ ने क्विंट को बताया, ''हमने 1992 के दंगे देखे हैं. अब दोबारा वो नहीं चाहिए. अब हमें आगे बढ़ना चाहिए. हम हमेशा से कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन मानेंगे. अब हम मानना भी होगा. पर अब हमें कम से कम डर के माहौल में नहीं रहना पड़ेगा. मुद्दा खत्म हो गया.

आसिफ, इकबाल अंसारी के रिश्ते के भाई हैं. अंसारी भी बाबरी मामले में फरियादी हैं. वहीं एक दूसरे मुस्लिम ऐजाज अली का कहना है कि वे भी फैसले से खुश नहीं है. लेकिन इससे भी हिंदू-मुस्लिम के बीच मामला खत्म हो गया.

कोर्ट ने माना कि मस्जिद में मूर्ति रखना गलत था. कोर्ट ने निर्मोही अखा़ड़े का दावा भी खारिज कर दिया. क्यों नहीं जमीन को दो हिस्सों में बांट दिया गया. इससे देश में अलग संदेश जाता.

अली ने आगे कहा कि कम से कम अब अयोध्या में कम से कम कर्फ्यू नहीं लगाना पड़ेगा. इस दौरान बिजनेस में बहुत नुकसान होता है.

द क्विंट ने जितने भी लोगों से बात की, सभी ने कहा कि कम से कम अब आर्थिक तौर पर माहौल अच्छा होगा. क्योंकि अब बड़ा निवेश आएगा. हालांकि यह देखाना बाकी है कि क्या इससे हिंदू-मुस्लिम के विवाद का खात्मा होगा या नहीं.

पढ़ें ये भी: अयोध्या पर फैसला समझना मेरे लिए मुश्किल: SC के रिटायर्ड जज गांगुली

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