अयोध्या जमीन विवाद पर 9 नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला यानी हिंदू पक्ष को देने का फैसला किया था. अयोध्या विवाद के मुस्लिम पक्षकारों में एक मौलाना सैय्यद अशद रशीदी ने ये रिव्यू पिटीशन दाखिल किया है.
पुनर्विचार याचिका में उन्होंने कहा है कि इस मामले के फैसले में कमी साफ तौर पर दिखती हैं और भारतीय संविधान के आर्टिकल 137 के तहत पुनर्विचार की जरूरत है.
याचिका में कहा गया है कि विभिन्न पक्षों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में, सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षों के गैर-न्यायिक कार्यों को माफ कर दिया और मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दे दिया, जिसकी मांग मुस्लिम पक्षों ने कभी नहीं की थी.
रशीदी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हैं और मूल लिटिगेंट एम सिद्दिकी के कानूनी वारिस भी हैं. याचिका में उन्होंने कहा कि ये ध्यान रखना चाहिए कि पुनर्विचार याचिकाकर्ता कोर्ट के पूरे फैसले को चुनौती नहीं दे रहा है.
बता दें कि कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाली है. सोमवार को AIMPLB की तरफ से जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं कर रहे हैं. हमने रिव्यू पिटीशन को तैयार कर लिया है और 9 दिसंबर से पहले कभी भी किसी भी दिन दाखिल कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले में कहा था कि विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए. इसके साथ ही उसने कहा था कि केंद्र सरकार 3 महीने के अंदर योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे, मुस्लिमों (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.
इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है. बोर्ड के सदस्यों ने बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)