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राम जन्मभूमि ट्रस्ट RTI एक्ट का पालन क्यों नहीं कर रहा?

ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय RTI एक्ट के प्रावधानों से अनजान है

Published
भारत
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केंद्र सरकार ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर 5 फरवरी 2020 को एक गजट अधिसूचना के जरिए राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया था.

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एक साल से ज्यादा वक्त हो गया, लेकिन हैरानी की बात है कि गृह मंत्रालय (MHA) के पास इस ट्रस्ट के सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO) का विवरण नहीं है. जबकि RTI एक्ट की धारा 5(1) कहती है कि ट्रस्ट की स्थापना के बाद CPIO को जल्द से जल्द नियुक्त किया जाना चाहिए.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रस्ट ने जनवरी 2021 की शुरुआत तक लगभग 2100 करोड़ रुपये जुटा लिए थे और इसमें से ज्यादातर जनता का पैसा है. इसलिए, यह वाकई अहम है कि सूचना का अधिकार (RTI) एक्ट के तहत जानकारी शेयर करके ट्रस्ट इस बात पर पारदर्शिता बनाए रखे कि यह पैसा कैसे खर्च किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं दिख रही है.

इस मामले में गृह मंत्रालय और ट्रस्ट से जवाब मांगते हुए RTI दायर की गई थी, जिसमें 'पब्लिक अथॉरिटी (सार्वजनिक प्राधिकरण) श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' के लिए CPIO और फर्स्ट अपीलेट अथॉरिटी (FAA) का विवरण मांगा गया.

20 जनवरी 2021 को RTI के जवाब में, गृह मंत्रालय ने इस ट्रस्ट के CPIO या FAA का विवरण नहीं दिया और इस बात का जिक्र किया कि यह 'ट्रस्ट एक स्वायत्त संगठन/निकाय है.’

लेकिन ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय RTI एक्ट के प्रावधानों से अनजान है.

‘’(RTI) एक्ट स्वायत्त निकायों को छूट नहीं देता है. AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) या AMU (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) भी संसद के अधिनियमों से बने स्वायत्त निकाय हैं, वे भी RTI के दायरे में आते हैं, क्या वे नहीं आते?’’
संजय हेगड़े, वरिष्ठ वकील
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हैरानी की बात यह है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने RTI के सवाल का कोई भी जवाब नहीं दिया.

दो RTI जवाबों के आधार पर, उनमें से एक में 'कोई प्रतिक्रिया नहीं' थी, आवेदक नीरज शर्मा ने 24 फरवरी 2021 को गृह मंत्रालय को पहली अपील दायर की, उसी सवाल का जवाब मांगा.

एक बार फिर, 8 मार्च 2021 को अपनी प्रतिक्रिया में, गृह मंत्रालय ने कहा कि उसके पास जानकारी नहीं है.

‘’CPIO (MHA का सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर) केवल वही जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य है जो उसके पास उपलब्ध है’’
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अपनी RTI प्रतिक्रिया में गृह मंत्रालय ने कहा:

  1. राम जन्मभूमि ट्रस्ट एक स्वायत्त संगठन/निकाय है
  2. ट्रस्ट के CPIO की जानकारी गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है

दिलचस्प बात यह है कि इस दूसरे RTI जवाब में मंत्रालय कहीं नहीं कहता है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट 'RTI के तहत नहीं आता है.' फिर गृह मंत्रालय जानकारी क्यों शेयर नहीं कर रहा है?

पूर्व सूचना आयुक्त शैलेश गांधी का कहना है, राम जन्मभूमि ट्रस्ट एक स्वायत्त निकाय है या नहीं, इसका कोई मतलब नहीं है, अगर यह RTI एक्ट, 2005 की धारा 2(h) के अंतर्गत आता है तो इसे अभी भी एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' कहा जाएगा और यह RTI के तहत आएगा.

क्यों राम जन्मभूमि ट्रस्ट RTI के दायरे में आना चाहिए?

RTI एक्ट, 2005 में कहा गया है कि सभी 'सार्वजनिक प्राधिकरण' अधिनियम के दायरे में आते हैं और आरटीआई सवालों का जवाब देने के लिए उत्तरदायी हैं. किसी भी भ्रम से बचने के लिए, आरटीआई अधिनियम स्पष्ट रूप से 'सार्वजनिक प्राधिकरण' को परिभाषित करता है.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि RTI एक्ट, 2005 की धारा 2 (h) "सार्वजनिक प्राधिकरण" शब्द को परिभाषित करती है, जिसका मतलब है किसी भी प्राधिकरण या निकाय या स्वयं-सरकार की संस्था, जिसका स्थापन या गठन:

a) भारतीय संविधान द्वारा या उसके तहत हुआ हो;

b) संसद द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा हुआ हो

c) राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा हुआ हो

d) समुचित सरकार की ओर से जारी अधिसूचना या आदेश द्वारा हुआ हो

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कृपया ध्यान दें कि कानून कहता है कि 'समुचित सरकार' की ओर से जारी' अधिसूचना' द्वारा गठित 'कोई भी' प्राधिकरण एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' है.

अधिसूचना के विवरण में आने से पहले, आइए यह भी पढ़ें कि आरटीआई अधिनियम 'उपयुक्त सरकार' को कैसे परिभाषित करता है.

RTI एक्ट, 2005 की धारा 2 (a) सार्वजनिक प्राधिकरण के संबंध में 'समुचित सरकार' शब्द को परिभाषित करती है, जो (I) केंद्र सरकार या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा; (II) राज्य सरकार द्वारा - प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदान किए गए फंड द्वारा स्थापित, गठित, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित हो.

गृह मंत्रालय ने 5 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि ट्रस्ट के गठन पर गजट अधिसूचना जारी की, और यह ट्रस्ट को एक सार्वजनिक प्राधिकरण बनाती है.

इस अधिसूचना में कहा गया,

‘’...माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में... भारत सरकार ने योजना को मंजूरी दे दी है, और उक्त योजना ने ट्रस्ट के प्रबंधन से संबंधित मामलों, मंदिर के निर्माण सहित न्यासियों की शक्तियों और सभी जरूरी, प्रासंगिक और पूरक मामलों सहित ट्रस्ट के कामकाज के संबंध में जरूरी प्रावधान किए हैं.’’

इसे लेकर शैलेष गांधी का कहना है कि गृह मंत्रालय का RTI जवाब खुद स्वीकार करता है कि ट्रस्ट का गठन 5-02-2020 की अधिसूचना के जरिए किया गया है, इस तरह यह सार्वजनिक प्राधिकरण की परिभाषा के अंतर्गत आता है.

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