उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बुधवार, 5 अगस्त को राम मंदिर का 'भूमि पूजन और कार्यारंभ' कार्यक्रम होगा. इस कार्यक्रम से पहले श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 3 अगस्त को कहा कि रामलला की पोशाक के हरे रंग को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं और लोग राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘’भगवान हरे रंग के कपड़े पहनेंगे इसको भी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से जोड़ दिया गया है. यह विषय प्रधानमंत्री कार्यालय का नहीं है. न इसका मुख्यमंत्री से संबंध है और न ही ट्रस्ट से. पुजारी दिन के हिसाब से पोशाक के रंग का फैसला करते रहे हैं, यह तय होता है. वह किसी के प्रभाव में आकर कोई बदलाव नहीं करते.’’
अयोध्या में सिलाई की दुकान चलाने वाले शंकरलाल के मुताबिक, 5 अगस्त के लिए रामलला की पोशाक के दो सेट तैयार किए गए हैं, जिनमें से एक हरे रंग का है, जबकि दूसरा भगवा रंग का है. इसे लेकर कहा जा रहा है कि 5 अगस्त को रामलला पहले हरी पोशाक और बाद में भगवा पोशाक धारण कर सकते हैं.
बुधवार को हरा रंग पहनने पर क्या है धार्मिक मान्यता?
क्विंट ने इस मामले पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के ज्योतिष विभाग के हेड प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय से बात की. बता दें कि प्रोफेसर विनय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 3 अगस्त से शुरू हुई भूमि पूजन प्रक्रिया का निर्देशन कर रहे हैं.
प्रोफेसर विनय ने बताया, ‘’भारतीय ज्योतिष में दिनों का नाम ग्रहों के नामों पर रखा गया है और सभी ग्रहों के अलग-अलग रंग होते हैं. जैसे रवि का लाल, सोम का सफेद, मंगल का लाल, बुध का हरा, गुरु का पीला, शुक्र का रेशमी क्रीम, शनि का काला और अनेक रंग. इसीलिए दिनों के ग्रहों के वर्णों के हिसाब से वस्त्र पहनाए जाते हैं.’’
वहीं, बुधवार के दिन और हरे रंग के संबंध को लेकर सनातन मंदिर चेतना सोसाइटी के सचिव अजय मिश्रा ने बताया, ''बुधवार का दिन शिवपुत्र भगवान गणेश का दिन माना जाता है. अगर बुधवार को हरे वस्त्र पहनकर कोई कार्य किया जाता है तो उसकी सफलता की संभावना ज्यादा रहती है. सातों दिनों के अलग-अलग रंग होते हैं.'' उन्होंने कहा कि बुधवार को रामलला के हरे वस्त्र पहनने को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.
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