अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने हिंदू और मुस्लिम धर्म गुरुओं से मुलाकात की. ये बैठक एनएसए के दिल्ली स्थित घर पर रखी गई थी. धार्मिक गुरुओं ने शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को पूरा सहयोग देने का वादा किया.
इस बैठक में 18 हिंदू धर्मगुरू और 12 मुस्लिम धर्मगुरू शामिल हुए थे. इसमें बाबा रामदेव, वीएचपी नेता चंपत राए, मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष अख्तरुल वासे, अखिल भारतीय उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महमूद अहमद खान शामिल हुए.
बैठक में शामिल हुए सभी धर्मगुरुओं ने कानून और देश के संविधान में अपना भरोसा दिखाया, और शांति-व्यवस्था बनाए रखने में सरकार को पूरा सहयोग देने की बात कही.
इस बैठक में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि हिंदू और मुस्लिमों ने धैर्य के साथ काम लिया है, जो सराहनीय है. उन्होंने कहा, 'मुझे वास्तव में अपने देश पर गर्व है कि इतना बड़ा मुद्दा, जो सालों से लंबित था, इतनी आसानी से हल हो गया. हिंदू और मुस्लिम दोनों ने बहुत धैर्य से काम लिया है, ये बेहद सराहनीय है.'
‘हर किसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्यार से स्वीकार किया है. हम साथ आए और इसे सफल बनाया है. मैं अपने मुस्लिम भाइयों को धन्यवाद देना चाहता हूं. कोई भी जीता या हारा नहीं है, पूरी दुनिया हमारे देश की तारीफ कर रही है.’स्वामी चिदानंद सरस्वती
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हिंदू धर्मगुरुओं में बाबा रामदेव, स्वामी अवधेशानंद, वीएचपी के नेता चंपत राय, सुरिंदर जैन और स्वामी परमात्मानंद बैठक में शामिल हुए. मुस्लिम धर्मगुरुओं में मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष अख्तरुल वासे, अखिल भारतीय उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महमूद अहमद खान, शिया नेता मौलाना कल्बे जावेद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशारत के अध्यक्ष समेत कुल 12 हस्तियां शामिल हुईं.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि हिंदुओं को देने का फैसला दिया. वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी अहम जगह पर 5 एकड़ जमीन देने को कहा है.
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